Breaking
13 Nov 2025, Thu

पुस्तक विमोचन कर अपने माता-पिता को किया समर्पित

सिवनी। डॉ डी पी ग्वालवंशी विभागाध्यक्ष, इतिहास,
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिवनी के द्वारा
लिखित पुस्तक का प्रकाशन आशा प्रकाशन,कानपुर द्वारा किया गया है जो कि पुस्तक का शीर्षक – गोंडवाना: सामाजिक तथा आर्थिक सरंचना, के नाम से प्रकाशित हुई है।

जिसका विमोचन दिनाँक 24 मार्च 2021 को संस्था प्रमुख डॉ सतीश चिले के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डॉ चिले ने कहा कि यह महाविद्यालय के लिए बहुत सुखद दिन है। इस कृति से विद्यार्थियों के साथ- साथ शोधार्थियों एवं समाज को भी लाभ होगा।
साथ ही इस पुस्तक को ग्वालवंशी अपने माता-पिता को समर्पित किया है। यही संस्कार है। मैं ग्वालवंशी के पिताजी से परिचित था, गुरुजी के नाम से क्षेत्र में पहचाने जाते थे। दितीय अध्याय में गोंडवाना क्षेत्र का परिचय है। गुगल मीट पर उपस्थित डॉ अनसूया चोथानी प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष सौराष्ट्र विश्विद्यालय राजकोट ने इस पुस्तक को समर्पित करने के लिए साधुवाद देते हुए डॉ चिले की बात का समर्थन किया एवं बधाई दी।

इस अवसर पर डॉ अरविंद चौरसिया, डॉ पवन वासनिक, डॉ समर्थ प्रताप सिंह, डॉ मानसिंह बघेल, प्रो विपिन मिश्रा, प्रो सुनील कौशल, प्रो अनिल परते, डॉ मुन्नालाल चौधरी, ग्रंथपाल सी एल अहिरवार, डॉ अनिल बिंझिया, इतिहास विभाग के अध्यापक डॉ विजया दुबे, श्रीमती हर्षा लखेरा, श्रीमती रितु गुप्ता एवं गूगल मीट में उपस्थित सौराष्ट्र विश्विद्यालय राजकोट के इतिहास के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ श्रीमती अनसूया चोथानी, डॉ संध्या श्रीवास्तव एवं समस्त विद्वतजन की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
साथ ही गूगल मीट पर उपस्थित शासकीय महाविद्यालय मुरादाबाद उत्तर प्रदेश के इतिहासविद एवं प्रोफेसर गिरीश सिंह ने पुस्तक को शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों एवं समाज के लिए बहुत उपयोगी बताया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ पवन वासनिक प्रशासनिक अधिकारी ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ विजया दुबे द्वारा किया गया।

इस पुस्तक के कुछ अंश इस प्रकार है -यह पुस्तक 6 अध्यायों में विभाजित है इसके प्रथम अध्याय में -भूमिका सैद्धातिक पक्ष है। तृतीय अध्याय में -आर्थिक व्यवस्थाओ का विश्लेषण है। चतुर्थ अध्याय में -सामाजिक व्यवस्थाओ का विश्लेषण है। पंचम अध्याय में -सास्कृतिक व्यवस्थाओ का विश्लेषण है। षष्टम अध्याय में -उपसंहार है। अतः लगभग 300 वर्षो के सुदीर्घ जीवन मे गोंडवाना साम्राज्य बेहत्तर फला फूला।इनके शाशकों द्वारा इस अवधि में नर्मदा नदी के पूर्वी छोर से पश्चिम में बुंदेलखंड तक अनेक किलों एवं गढ़ो का निर्माण किया सम्राट संग्राम शाह से रानी दुर्गावती तक साम्राज्य अपने विशाल भू भाग में फैला हुआ था। जिसमें अनेक महलों एवं गढ़ो का निर्माण हुआ जो स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने है।
इस शासनकाल के दौरान सामाजिक व्यवस्था सुदृढ़ थी।आर्थिक समृद्धता थी। तत्कालीन समय मे सिंचाई के लिए तालाबों का निर्माण कराया गया था। जो कृषि सिंचाई के साथ- साथ पेयजल आपूर्ति के कार्य आता था जिनके नाम जबलपुर नगर में आज भी हैं जैसे अधारताल, रानीताल, चेरीताल, देवताल, माढ़ोताल, सूपाताल, हनुमानताल आदि। लगभग 52 तालाबों का उल्लेख मिलता है। इस तरह कृषि कार्य उन्नत अवस्था मे था और गोंडवाना साम्राज्य बहुत समृद्ध था।

— — — — — — — — — — — — — — — — — — — — —  ताजासमाचार पढ़ने के लिए न्यूज के नीचे दिए गए वाट्सएफ जवाइन निर्देश बॉक्स में दो बार क्लिक कर ग्रुप में ज्वाइन हो सकते हैं, या 94 2462 9494 सेव कर ज्वाइन की लिंक मांग सकते हैं। संतोष दुबे सिवनी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *