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देश का दुर्भाग्य : शिक्षकों को जनप्रतिनिधियों से करना पड़ रहा आग्रह

सिवनी। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाए कि जिस  छात्र को गुरु पढ़ा लिखाकर समाज व देश-विदेश के लिए काबिल बनाता है। उसी गुरु अतिथि विद्वानों को अपनी नियुक्ति पक्की करने के लिए जनप्रतिनिधियों, शासन-प्रशासन से गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। नियुक्ति के लिए आस लगाये बैठना पड़ रहा है।

पीएम एक्सीलेंस कॉलेज शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय सिवनी का  उदघाटन हुआ। उद्घाटन के दौरान ही महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों ने  सिवनी विधायक मुनमुन राय को दिया ज्ञापन ज्ञापन में कहा गया है की अतिथि विद्वान शोषणकारी व्यवस्था बंद करके सभी अतिथि विद्वानों को नियमित पदों में समायोजित कर भविष्य सुरक्षित करें सरकार।

इस मौके पर डॉक्टर संदीप कुमार शुक्ला, डॉक्टर पिंटू पटेल, क्रीड़ा अधिकारी केसी बापू राऊर, डॉ संतलाल डेहरिया, डॉ शिव प्रसाद डेहरिया, डॉ प्रमोद कुमार चतुर्वेदी, आदि प्रधानमंत्री एक्सीलेंस पीजी कॉलेज सिवनी के सभी अतिथि विद्वान शामिल रहे।

ज्ञापन में बताया कि यह कि अतिथि विद्वान पद पर नियुक्ति देते समय अतिथि विद्वानों से इस आशय का शपथ पत्र लिया जाता रहा है कि अतिथि विद्वान अन्यत्र कहीं शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्य नहीं कर सकते। अतिथि विद्वानों की आजिविका का एकमात्र आधार यह कार्य
है।

यह कि अतिथि विद्वान नियमित सहायक प्राध्यापक के समान समस्त शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्य करते हुए कार्य में दक्ष है।
यह कि 1991 से 2017 के मध्य नियमित भर्ती परीक्षाएं ना होने से और तत्पश्चात 2017 से अब तक प्रतिवर्ष नियमित भर्ती परीक्षाएं ना होने से अधिकांश अतिथि विद्वानों की आयु 40 से 58 के मध्य हो गई है।

यह कि किसी भी भर्ती परीक्षा का उद्देश्य योग्य अभ्यर्थियों का चयन होता है ।चयन पश्चात उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे कि वे कार्य को दक्ष तरीके से कर सकें ।
अतिथि विद्वान मेरीट आधार पर चयनित है । कार्य का अनुभव रखते हैं ।हर वर्ष श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम देते हुए उच्च शिक्षा विभाग को गति देते रहे हैं।

माननीय महोदय,
किसी भी राज्य का उद्देश्य नागरिकों का कल्याण होता है ।
अगर स्थानांतरण या नियमित नियुक्ति से अतिथि विद्वानों को विस्थापित किया जाता है तो उनके और उनके परिवार के समक्ष जीवन यापन का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा ‌। पूर्व में भी इस तरह के विस्थापन से कुछ अतिथि विद्वान निराशा में आत्मघाती कदम उठा चुके हैं ।

यह कि पूर्व में भी मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तदर्थ व अन्य आधार पर नियुक्त किये गये अंशकालिक प्राध्यापको को पीएससी से नियमित होने की बाध्यता से मुक्त कर नियमित किया गया है।
माननीय महोदय,
मप्र में भाजपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी चोहान ने भी अतिथि विद्वानों की व्यथा को महसुस करते हुए कहा था –
” इस उम्र में ये अतिथि विद्वान कहा जाएंगे ।रिक्त पदों पर इन्हें नियमित कर दिया जाए “
प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्रीजी और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जी ने भी अतिथि विद्वान महापंचायत में अतिथि विद्वानों के स्थाईत्व का वचन दिया था ।

निवेदन है कि मप्र के आपके अपने अतिथि विद्वानों को सहायक प्राध्यापक सेवा में समायोजित कर स्थाईत्व प्रदान करे।
अतिथि विद्वान और उनका परिवार सदैव आपके आभारी रहेंगे ।
प्रतिलिपि
माननीय मुख्यमंत्री महोदय भोपाल मध्य प्रदेश शासन

माननीय उच्च शिक्षा मंत्री मध्य प्रदेश शासन भोपाल

माननीय आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल

भवदीय

समस्त अतिथि विद्वान पीएम एक्सीलेंस पीजी कॉलेज सिवनी

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