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पीजी कॉलेज की छात्राओं ने कहा, जब तक कविताएँ रहेंगी मनुष्यता बची रहेगी

काॅलेज के हिंदी विभाग में हुआ विश्व कविता दिवस का आयोजन

सिवनी। विश्व कविता दिवस के अवसर पर हिंदी विभाग के प्रेमचंद कक्ष में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कविताओं के योगदान और महत्व पर प्राध्यापकों ने विचार रखे और विद्यार्थियों ने भी मशहूर कविताओं का भावपूर्ण पाठ किया।

हिंदी विभाग की अध्यक्ष डाॅ सविता मसीह ने बताया कि 1999 में यूनेस्को ने 21 मार्च को विश्व कविता दिवस घोषित किया। यह दिन मानव जीवन में कविता के महत्व को उजागर करता है। कहा कि कविताएँ हमारे मन को परिष्कृत करतीं हैं। कविताएँ हमारे भावों और संवेदनाओं को व्यक्त करतीं हैं।

कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में प्राचार्य डाॅ रविशंकर नाग ने कहा कि कविता दुनिया की सबसे बड़ी कला है । कलाएँ मनुष्य की अभिव्यक्ति हैं। समय, श्रम और संसाधन कलाओं के परखने की कसौटियां है। कलाओं में कविता सबसे श्रेष्ठ है। कहा कि संसार के सारे महान ग्रंथ कविता में ही हैं। चिंता जताई कि कविता से प्रकृति हटती जा रही है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि कविता मनुष्य की सहज, सरल और शाश्वत अभिव्यक्ति है। कविताओं ने मनुष्य को मनुष्य बनाया है। कहा कि जब तक कविता रहेगी मनुष्यता बची रहेगी। कविता हमारे मन को मांजती है, पावन बनाती है। बताया कि कविता दुनिया को सुंदर बनाती है और मशाल की तरह राष्ट्र को आलोकित भी करतीं हैं।

विशेष वक्ता के रूप में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ अरविंद चौरसिया ने कहा कि साहित्य हमेशा समाज को आईना दिखाता है। समाज की सच्चाई कविताओं के माध्यम से सामने आती है। जनभागीदारी शिक्षक उमाशंकर वर्मा का सराहनीय योगदान रहा। शिक्षक अमितोष सनोडिया, छाया राय, डाॅ सुनीता साकेत एल्युमनी शिव कुमार यादव ने महान कवियों की कविताओं का भावपूर्ण वाचन किया।

छात्र मयंक सेन, छात्रा रक्षा राहंगडाले तथा अंबिका मिश्रा ने भी कविताओं का सस्वर पाठ कर तालियाँ बटोरीं। कार्यक्रम में एमए हिंदी के विद्यार्थियों समेत बड़ी संख्या में स्नातक कक्षाओं के छात्र छात्राएँ तथा काॅलेज स्टाफ भी मौजूद रहे।

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