सुभद्रा कुमारी चौहान की पुण्यतिथि पर किया स्मरण
सिवनी। सिवनी से गहरा नाता रखने वाली महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की 76 वीं पुण्यतिथि पर पीजी काॅलेज के हिंदी विभाग में आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर्स और छात्र छात्राओं ने उत्साह से हिस्सा लिया और स्वाधीनता आंदोलन और साहित्य में उनके अवदान का स्मरण किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में प्राचार्य डॉ रविशंकर नाग ने कहा कि सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ हमारी विरासत हैं। साहित्यकार किसी एक के लिए नहीं जीता, वह पूरे राष्ट्र का होता है। कहा कि 44 साल के अपने छोटे जीवनकाल में सुभद्रा जी ने महान साहित्य रचा है। बताया कि ‘झाॅंसी की रानी’ के अलावा ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे लोकप्रिय रचना है। कहा कि युवा पीढ़ी को सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्य पढ़ना चाहिए।
बतौर विशेष वक्ता डॉ अरविंद चौरसिया ने कहा कि सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ हमेशा प्रासंगिक रहेंगी। कहा कि उनकी कविताएँ आज भी हमें देशभक्ति की सीख देती हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि सिवनी से सुभद्रा कुमारी चौहान का गहरा नाता था। स्वाधीनता संघर्ष के दौरान सिवनी में उन्होंने आज़ादी के आंदोलन को आगे बढ़ाया था। बताया कि दुखद संयोग है कि उन्होंने अपनी अंतिम साँस सिवनी के गाँव कलबोड़ी में ली। कहा कि उनकी रचनाएँ बचपन को शुद्ध, यौवन को प्रबुद्ध और हमारे जीवन को सिद्ध करतीं हैं।
कार्यक्रम में डॉ. ज्योत्सना नावकर, प्रो. ज्योति गजभिये, डॅा. शशिकांत नाग, डॉ. रघुनाथ नागले, डॉ रत्नेश सैनी, एल्युमनी शिव कुमार यादव, हिंदी परिषद की अध्यक्ष शुभम कुमारी यादव, अमितोष सनोडिया, डॉ सुनीता साकेत समेत बड़ी संख्या में पीजी तथा यूजी कक्षाओं के विद्यार्थी मौजूद रहे।

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