सिवनी/केवलारी। रमाशंकर महोबिया। ब्रह्मकुमारीज सेवा केंद्र में रंगोत्सव रंग पंचमी एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन रमाशंकर महोबिया सदस्य बाल कल्याण समिति महिला बाल विकास विभाग, डिलेश्वरी भगत शिक्षिका सीएम राइज विद्यालय, शकुनतला धुर्वे शिक्षिका शासकीय माध्यमिक शाला बंदेली के मुख्य आतिथ्य एवं ब्रह्मकुमारी सेवा केंद्र की प्रभारी गायत्री दीदी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व में 8 मार्च को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। होली पर्व के कारण महिलाओं के प्रति सम्मान के लिए है कार्यक्रम रंग पंचमी के पावन अवसर पर आयोजित किया गया। दीप प्रज्वलित कर संपूर्ण विश्व में महिलाओं के प्रति सम्मान प्रशंसा प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं को आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों से सापेक्षता के सिद्धांत पर आयोजित कार्यक्रम में रमाशंकर महोबिया समाज सेवी , श्रीमति डिलेश्वरी भगत शिक्षिका ,एवं गायत्री दीदी के द्वारा विश्व स्तर पर महिलाओं के गौरवशाली इतिहास की जानकारी दी गई।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरी दुनिया में 8 मार्च को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 1914 में जर्मन में हम महिलाओं को अधिकार दो शीर्षक से प्रारंभ यह महिला के सम्मान का दिवस आज 112वां वर्षगांठ मना रहा है ।संपूर्ण विश्व में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं के आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य पर मनाया जाता है। वर्तमान समय में महिलाओं के सम्मान और गौरव गाथा की बात करें तो अमेरिका की उपराष्ट्रपति माननीय श्रीमती कमला हैरिस जी की जो करोड़ों लोगों की प्रेरणा बनी हुई है दुनिया के लिए एग्जांपल ऑफ वूमेन एम्पावरमेंट भारतीय मूल की श्रीमती कमला हैरिस की मां श्रीमती श्यामला गोपालन तमिलनाडु दक्षिण भारत की रहने वाली थी ।भारत के प्रथम नागरिक की बात करें तो यह गौरव शाली इतिहास भी श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल जी को जाता है जो स्वतंत्रता के बाद प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में वर्ष 2007 से 2012 तक पद को सुशोभित किया, वर्तमान समय में श्रीमती ज्योति मुर्मू जी 25 जुलाई 2022 से महिला राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त की हुई है। इससे भी आगे निकल के देखे हम कैप्टन शालिजा धामी पायलट लुधियाना पंजाब की रहने वाली ग्रुप कैप्टन 2003 में हेलीकॉप्टर की पायलट बनी वर्तमान में प्लाइट कमांडर बनकर चेतक हेलीकॉप्टर की पायलट है। सुरेखा यादव रेल चालक भारतीय रेल की पहली महिला लोको पायलट 1988मे बनी,बर्ष 2000मे डेक्कन क्वीन सुपर एक्सप्रेस को पुणे से मुंबई तक चलाकर महिला होने का इतिहास रचा। श्रीमति बसंत कुमारी बस चालक भारत की राजधानी चेन्नई की महिला श्रीमती वसंतकुमारी भारत की प्रथम महिला बस चालक बनी थी।
शिक्षा के क्षेत्र में श्रीमती सावित्री बाई फूले को कौन नहीं जानता 1831 में जन्म लेने वाली भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारक एवं मराठी भाषा की कवित्री श्रीमती सावित्रीबाई फुले ने 1857 की क्रांति के समकालीन में बालिका पाठशाला की स्थापना कर अंग्रेजी हुकूमत के सामने शिक्षा और अधिकारों की मिसाल पेश कर प्रथम महिला शिक्षक होने का गौरव प्राप्त किया हुआ है।
राजनीति के क्षेत्र में श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने गौरवशाली इतिहास रचा 19 नवंबर 1917 को जन्म लेने वाली आयरन लेडी 1959 में ही सर्वसम्मति से कांग्रेस दल की नेता बन गई थी । श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन के बाद वर्ष 1966 में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री होने का शानदार इतिहास लिखा बैंकों का राष्ट्रीयकरण ,प्रिवी पर्स की समाप्ति, प्रथम पोखरण परमाणु विस्फोट, प्रथम हरित क्रांति जैसे महान कारों के अलावा 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत एवं पाकिस्तान के दो टुकड़े कराकर बांग्लादेश को पृथक राज्य का दर्जा दिलाने वाली इंदिरा गांधी जी। 1984 मे पंजाब के उबलते आतंकवाद आपरेशन व्लू स्टार को अंजाम देकर जलते पंजाब को शांत कराया था और उसी का परिणाम है कि 31 अक्टूबर 1984 को सिख समाज के अंगरक्षकों ने ही सुबह 9 वजे 32 गोली उनके सीने में उतार दी थी।
भारतीय धर्म संस्कृति की प्रेरणा की बात करें तो त्रेता युग स्वर्णकार कालखंड में संपूर्ण मिथिला राज्य के चक्रवर्ती सम्राट राजा जनक की पुत्री माता सीता की बात करते हैं जो महिलाओं के लिए आदर्श बल पराक्रम की मूर्ति है रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है जनकपुर में राजा जनक के महल में भगवान परशुराम ने भगवान शिव का धनुष धरोहर के रूप में रखा था।एक दिन धनुष को सहज ही उठाकर दूसरे स्थान पर रखकर श्री सीता के 8 वर्ष की उम्र में बल ,पराक्रम को देख कर के ही राजा जनक ने सीता स्वयंवर रखा था।सीता त्याग और धर्म की मूर्ति थी मानव इतिहास को युगों युगों तक अमृतत्व देने वाली श्री सीता जी त्याग और धर्म की प्रतिमूर्ति थी।
चक्रवर्ती सम्राट जनक की पुत्री एवं चक्रवर्ती सम्राट दशरथ की पुत्रवधू धर्म की रक्षा और पालन करने के लिए श्री राम के वन गमन समय काल मे सब कुछ त्याग दिया था। सतीत्व के आगे रावण हारा था 13 वर्षों तक बन बन भटककर ,दुखो के साए में जीवन होने के बाद रावण के द्वारा सीता का अपहरण कर सोने के महल लंका में ले जाकर रानी बनाने का प्रलोभन देने के बाद भी सीता ने अपना पतिव्रत्य सतीत्व नहीं छोड़ा इसलिए सीता को त्याग और धर्म की मूर्ति कहते। गायत्री दीदी ने महिलाओं से आह्वान किया कि अपने अस्तित्व के लिए महिला का संघर्ष अभी आ अपूर्ण है जबकि चारों ओर नारी ही श्रेष्ठ है। नारी जिसका कोई भी शत्रु नहीं होता आज वह अपने आप को असहाय असहज महसूस करती है निडरता के साथआत्मसम्मान की रक्षा के लिए आगे आना पड़ेगा। बालिकाओं के द्वारा रंगोत्सव एवं महिला सशक्तिकरण आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी गयी।
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