सुदामा की भक्ति से ले शिक्षा : उमानंद शास्त्री

सिवनी। गणेशगंज लखनादौन के अंतर्गत आने वाले ग्राम मेकदोन में सार्वजनिक रूप से श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ 24 फरवरी से चल रही है जिसमें कथा ब्यास भागवत भूषण आचार्य श्री उमानंद शास्त्री जी महाराज (लखनादौन सिवनी) के मुखारबिंद से प्रतिदिन 2 बजे से 6 बजे तक सुनाई जा रही है।

उसी क्रम में गुरुवार को सप्तम दिवस की कथा में आचार्य श्री द्वारा गरीब सुदामा चरित्र सुनाते हुए कहा गया,,
सुदामा की गरीबी दीनदशा देखकर दुख के कारण श्री कृष्ण के आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी उन्होंने सुदामा के चरण धोने के लिए पानी मंगाया लेकिन उनकी आंखों के आंसू इतने निकल गए थे कि आंसुओं से ही उनके चरण धूल गए।
द्वारका से लौटते समय सुदामा का मन कृष्ण के द्वारा किए गए व्यवहार से बहुत दुखी था सुदामा अपने बारे में सोच रहे थे कि वे जब कृष्ण के पास पहुंचे तो उन्होंने बड़े ही आतिथ्य सत्कार किया क्या वह सभी दिखावटी था उन्हें लगता था कि श्री कृष्ण सुदामा की गरीबी दरिद्रता को समाप्त करने के लिए धन और दौलत देकर उन्हें विदा करेंगे
द्वारका से लोटने के बाद सुदामा जिस वक्त अपने गांव लोटे तो उन्होंने अपनी झोपड़ी के जगह भव्य महल देखा देखते ही वह भ्रमित हो गए और सोचा कहीं मैं फिर से घूम कर वापस द्वारिका तो नहीं आ गया श्री कृष्ण की कृपा से सुदामा की गरीबी दरिद्रता दूर हो गई जहां सुदामा अपनी टूटी फूटी सी झोपड़ी में रहा करता था अब वहां सोने का महल खड़ा हुआ है कभी सुदामा के पास पहनने को चप्पल ना हुआ करती थी अब उन्हें घूमने फिरने के लिए हाथी घोड़ा खड़े हैं ।

श्री आचार्य ने देश की बेटियों को भी दिया सुंदर संदेश जहां मां-बाप की खुशी हो वही करें अपना ब्याह कहीं प्यार और मनपसंद शादी करने से न कर लेना अपना जीवन बर्बाद मनपंसद ब्याह करने से चंद समय ही खुश रह पाओगे लेकिन मां-बाप की खुशी (सहमति) से शादी करोगे तो जीवन भर सुख शांति ऐश्वर्य के साथ जीवन सफल करोगे
चार चीजे ऐंसी है जो अपने आप पहचान आ जाती है इत्र, मित्र, चित्र, और चरित्र
हरी हर निंदा सुने जो काना , होय पाप गो घाट सामना
निंदा और निद्रा दो चीज जिसने छोड़ दिया वही अपने जीवन में सफल हैं
बसंत ऋतु आने पर प्राकृतिक खिल जाती है परन्तु संत महात्मा जिस शहर, नगर, गांव आ जाएं वहां की संस्कृति खिल जाती हैं
संतो का क्षण अन्न का कण कभी बर्बाद नही होने देना चाहिए
भागवत जी मनोरंजन का विषय नहीं
अपितु भागवत जी मन मंजन का विषय है
जिस आदमी ने अपना प्रभाव भगवान को समर्पित कर दिया वही प्रभाव उसके स्वभाव में परवर्तित हो जाता है।
आज कथा का विश्राम दिवस के साथ भव्य भंडारा आयोजित किया गया है।

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