तीर्थराज के संरक्षण में जाग्रत हुआ जैन समाज
सिवनी। विगत अनेक दिवसों से सम्पूर्ण भारत वर्ष में प्रतिष्ठित जैन समाज में तीव्र कोलाहल की स्थिति बनी हुई थी। कारण था २० जैन तीर्थंकर भगवंतो की निर्वाण भूमि तीर्थराज सम्मेद शिखर की पवित्रता,धार्मिकता,एवं अहिंसात्मक वातावरण को ताक में रखकर एक षडयंत्र के तहत झारखंड सरकार की तुगलकी अनुशंसा पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा श्री क्षेत्र को पर्यावरण क्षेत्र एवं वन्य अभ्यारण घोषित किया गया ,फलस्वरूप जैन समाज जागृत हुआ। उसी क्रम में सिवनी जैन समाज की तीनों शाखाएं क्रमशः दिगम्बर श्वेताम्बर और तारण तरण जैन समाज ने सविनय अवज्ञा पूर्वक मौन आन्दोलन के रूप मे लगभग १ किलो मीटर की लंबी ज्ञापन। रैली का आयोजन कर धर्म एवं तीर्थ संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया। रैली के पूर्व गांधी चौक शुक्रवारी बाजार में जैन समाज के आबाल वृद्ध नर नारियों का हजारों की संख्या मे हुजूम श्वेत एवं पीत परिधान धारण कर एकत्रित हुआ। इस अवसर पर नगर में विराजित पूज्य मुनि श्री प्रशम सागर ,अनुपम सागर ,साध्य सागर महाराज का मंगल पदार्पण हुआ। धर्म सभा मे सकल जैन समाज के प्रतिनिधियों ने पूज्य मुनि संघ को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर श्रीमती सारिका जैन ने मंगलाचरण किया।
भूमिका संबोधन के माध्यम से विचार व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक श्री नरेश दिवाकर ने सख्त लहजे में कहा कि जैनियों के पवित्रतम तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को चंद राजस्व आय के लिए पर्यटन क्षेत्र घोषित कर मांसाहार व मदिरापान की अनुमति देकर झारखंड सरकार ने हम सभी की धार्मिक भावनाओं व आस्थाओं पर कुठाराघात किया है,हम सकल जैन समाज के लोग इसकी घोर निंदा करते हैं।
श्री शिखर जी की पवित्रता के लिए हम सभी अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर है किंतु मांसाहार व आय वृद्धि के लिए वहां पर मूक पशुओं पक्षियों का खून नहीं बहने देंगे न पवित्रता भंग करने देंगे।
श्री दिवाकर ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार हमारी अहिंसात्मक प्रवर्ति,शालीनता,सरलता को कायरता समझने की गलती न करे और तत्काल धर्म विरोधी उक्त आदेश को वापिस ले अन्यथा हमारी यह मौन रैली भविष्य में उग्र आंदोलन के रूप में देखने को मिलेगी। उन्होंने मंचसीन पूज्य मुनि संघ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाराज श्री के द्वारा विगत अनेक दिवसों से निरंतर इस मामले मे सारी समाज को अपनी देशना के माध्यम से जाग्रत किया जा रहा है,और उन्ही की प्रेरणा का यह सुखद परिणाम की सर्वे जैन बांधव: एको भवः के एकता के सूत्र में आज हम सभी उनके शरणागत हुए है।
इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए पूज्य मुनि श्री प्रशम सागर जी मुनिराज ने कहा आत्म आराधना और साधना का क्षेत्र सम्मेद शिखर को पर्यटन के नाम पर कामना और वासना का अमली जामा पहना कर सरकार जैनियों की पवित्र भावनाओ से खिलवाड़ कर रही है। जैन अहिंसक समाज है ।किसी भी स्थिति में रक्त पात कर किसी को किसी भी स्थिति मे आहत नही कर सकती फिर जैन समुदाय के क्षेत्रों में मांसाहारियों के स्वाद के लिए किसी जीव के रक्त बहाने का क्या औचित्य? समझ से परे है। सरकार को हमारे जैन समाज के किए जा रहे इन आंदोलनों से सद बुध्दि आए। तीर्थ सम्मेद शिखर जी की पावनता यथावत रहे। पर्यटन के नाम पर क्षेत्र मे पापाचार ना बढ़े।
इसी भावना से मुनि श्री सकल जैन समाज को आशीर्वाद प्रदान करते हुए धर्म संस्कृति का महायज्ञ निरूपित करते हुए विशाल जन समुदाय को पूर्ण अनुशासन से धर्म रक्षा यात्रा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी। गुरू आज्ञा से रैली अपने निर्धारित मार्ग से दोपहर १२:३० पर कलेक्टर कार्यालय पहुंची। जहा अनुभिवागीय दंडाधिकारी सुश्री मेघा शर्मा को जैन समाज की ओर से श्री नरेश दिवाकर,प्रकाश नाहटा,सुजीत जैन,संजय मालू, सुदर्शन बाझल, पंडित संतोष जैन,मिलन बाझल , प्रसन्न मालू,अतुल मालू, संजय नायक,प्रफुल्ल बंटी ,मनसुखा जैन,सुजीत नाहटा,अनिल नायक, चंद्रशेखर आज़ाद,धन्य कुमार दिवाकर, सुनिल सेठ,अभय जैन,आलोक मालू,पंडित सतीश जैन,सुभाष जैन,विपनेश जैन,मनोज बाझल डॉक्टर अपूर्व जैन,प्रभात वीडी आदि ने अपार जनसमुदाय की उपस्थिति में ज्ञापन सोपा।ज्ञापन का वाचन पारस जैन ने किया।