सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने का मुद्दा
सिवनी। जिले के केवलारी में भी विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमे समस्त नगर परिषद केवलारी के व्यापारी, केवलारी जन ने अपने दुकान,नगर बंद कर समर्थन किया तथा जैन धर्म के लोग यह विरोध झारखंड के गिरिडीह स्थित सम्मेद शिखरजी को लेकर है. झारखंड सरकार ने हाल ही में उस जगह को को पर्यटन स्थल बनाए जाने की अधिसूचना जारी की थी।
झारखंड के गिरिडीह स्थित सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने की अधिसूचना जारी होने के बाद जैन समाज के लोग सड़कों पर उतर आए हैं. जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी को अपना पवित्र तीर्थ स्थल बताते हुए इसे बचाने, इसे संरक्षित करने की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन कर रहे है, केवलारी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय में सकल जैन समाज की महिलाएं, पुरुष और बच्चे एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे. सभी जैन समाज के लोग झारखंड सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे और नारे लगाते हुए झारखंड में पारसनाथ पर्वत राज मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने का विरोध भी कर रहे थे।
सभी लोगों की मांग थी कि किसी प्रकार से पर्यटन स्थल घोषित अगर हो गया तो मांस मदिरा की बिक्री होगी, पेड़ों का अवैध कटान होगा, पत्थरों का अवैध खनन होगा. इससे हमारे संतो की मोक्ष स्थान सम्मेद शिखर प्रदूषित हो जाएगा, इसलिए इसको रोका जाए. सभी जैन समाज के लोगों ने शासन को एक मांग पत्र लिखा है, जिसमें 5 सूत्रीय मांगे लिखी गईं. यह मांग पत्र स्थानीय लोगों ने केवलारी के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय मे सौंप दिया.
बता दें कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के फैसले का विरोध कर रहे लोग इसे अपनी धार्मिक आस्था पर आघात बता रहे हैं. जैन धर्म के लोगों का कहना है कि इससे पवित्र स्थल पर लोग आध्यात्मिक नहीं, मौज-मस्ती के मनोभाव से जाएंगे।
जैन समाज ने किया कड़ा विरोध – झारखंड में स्थित सम्मेद शिखर स्थल पर अनंत संतों की मोक्ष स्थल हैं. उस जगह पर कई मुनियों ने तपस्या करके निर्वाण प्राप्त किया है, वह आस्था का केंद्र है। उस जगह को झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया सरकार से यह मांग करते हैं कि जैसा भी वह जैन अतिशय क्षेत्र है, उसी स्थिति में यथावत रखा जाए, हम सरकार से पैसा भी नहीं मांगते हैं। ना ही , सड़क या किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए कभी कोई मांग करते हैं. लेकिन अब हमारी बस यही मांग है कि हमारी धरोहर को सुरक्षित रखा जाये तथा झारखंड सरकार धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ ना करें. वो अहिंसा का क्षेत्र है उसकी पवित्रता बनाए रखें, यदि सरकार ऐसा नहीं करती है, तो हम लोग सभी अन्न, जल त्याग कर सड़क पर आ जाएंगे।
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