परामर्श केंद्र में 10 प्रकरण रखे थे 5 में समझौता हुआ
सिवनी। एक प्रकरण में पति ने आवेदन दिया था उसकी पहली पत्नी खत्म हो गई है, दो बच्चे हैं। फिर उसने दूसरी शादी कर पत्नी को लेकर आया। किंतु पति अपनी पत्नी को पत्नी का दर्जा नहीं देता था। इसलिए दूसरी पत्नी अपने पति से दुखी थी। क्योंकि दूसरी पत्नी का भी पति खत्म हो गया था। आगे का जीवन गुजर जाए उसने भविष्य को देखते हुए सोचा कि चलो दूसरी शादी करके अपना जीवन यापन कर लेगी। इसलिए वह दूसरी शादी करने को तैयार हो गई। लेकिन पति पत्नी का दर्जा नहीं देता जबकि वह उसके बच्चों को बहुत प्यार करती थी, अच्छे से ध्यान रखती थी। पति का कहना था कि पत्नी बच्चों का ध्यान नहीं रखती। काउंसलर छिददी लाल श्रीवास व मीरा नामदेव, हेड कांस्टेबल गोपाल सिंह, एएसआई ज्योति चौरसिया प्रभारी परामर्श केंद्र ने समझाइश दी। दोनों की दूसरी शादी है ऐसे में आगे का जीवन दोनों को बहुत ही समझदारी से प्रेम से मिलजुल कर जीना चाहिए।
दूसरे प्रकरण में 15 साल शादी के हो गए थे। दो बच्चे हैं। पति बहुत शराब पीता था तो पत्नी 4 माह से मायके में बैठी थी। दोनों को बुलवाया गया समझाया गया। बच्चों के भविष्य को देखते ही निर्णय लिया। पति ने कहा शराब नहीं पिएगा वही पत्नी ने लिखित में यह बात लेकर समझौता की।
तीसरे प्रकरण में शादी के 3 वर्ष हुए थे पत्नी ने आवेदन दी थी कि 3 साल हो गए पति ने अच्छा व्यवहार नहीं किया। दूसरी लड़की से बात करता है। पत्नी की तरफ ध्यान नहीं देता है। गाली गलौज करता है। पति कहता है कि मेरी जबरदस्ती शादी कराई है। दोनों को समझाया गया कि जोड़ा ऊपर से बनकर आता है। शादी तुम दोनों की ही होना था तो तुमको पहले पत्नी पर ध्यान देना चाहिए दूसरी पत्नी से बात नहीं करोगे। इस बात पर समझाइश दी गई और पत्नी पर ध्यान देने के लिए समझाया गया पति मनाना पत्नी को ले गया समझा के समझौता हुआ।
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