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भारतीय भाषाएँ राष्ट्रीय एकता की प्रतीक : प्रोफेसर शेन्डे

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महान स्वतंत्रता सेनानी चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर आयोजन

सिवनी। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की भारतीय भाषा समिति तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश पर महान साहित्यकार चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती के जन्मदिवस 11 दिसम्बर को देशभर के सभी कालेजों  में ‘भारतीय भाषा दिवस’ के रूप में मनाया गया। इसी कड़ी में   पीजी काॅलेज में भी ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन हुआ,  जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। 
कार्यक्रम की समन्वयक डाॅ सविता मसीह ने आयोजन के उद्देश्य पर रोशनी डाली। कहा कि भारतीय भाषाओं  के माध्यम से ज्ञान और साहित्य को बढ़ावा मिलता है।कहा कि हिंदी और संस्कृत भाषाओं को हमें जानना चाहिए।
भारतीय भाषा दिवस
कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है।  इन भाषाओं  के प्रति विद्यार्थियों की रूचि जागृत करने के उद्देश्य से भारतीय भाषा दिवस मनाया जा रहा है। कहा कि विद्यार्थियों को हिंदी और अंग्रेजी के साथ, कम से कम एक भारतीय भाषा का ज्ञान अर्जित करना चाहिए। बताया कि भारतीय भाषाएँ हमारी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक हैं। प्रोफेसर शेन्डे ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति,  2020 में भारतीय भाषाओं को महत्व दिया गया है।

मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षक रविकांत आचार्य ने संस्कृत भाषा के महत्व को समझाया। उन्होंने अपना वक्तव्य संस्कृत और हिंदी,  दोनों  भाषाओं में दिया।  कहा कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की पहचान है।

कौन हैं चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती 1882 में जन्मे तमिल के महान रचनाकार चि. सुब्रमण्यम भारती को उत्तर भारत और दक्षिण भारत की संस्कृतियों में एकता स्थापित करने वाला पुल कहा जाता है। स्वाधीनता सेनानी के रूप में उन्होंने उन्होंने अपनी रचनाओं से भारतीय एकता को बढ़ावा दिया।

कार्यक्रम में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डाॅ रविशंकर नाग ने कहा कि  साहित्य ललित कलाओं में सबसे महत्वपूर्ण है। साहित्य  की अभिव्यक्ति के लिए भाषा अनिवार्य है। विशेष वक्ता के रूप में प्रसिद्ध लेखक और अभिनेता पंकज सोनी ने कहा कि भारतीय भाषाओं से हमारी सास्कृतिक विविधता झलकती है।

‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ गीत भाषाई एकता का प्रतीक  – लगभग 15 भारतीय भाषाओं के शब्दों से रचे गये अमर गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ की रिकार्डिंग विद्यार्थियों को सुनाई गई। अस्सी के दशक के भारतीय दूरदर्शन के इस लोकप्रिय गीत ने सभी का मन मोह लिया। महान शास्त्रीय गायक भीमसेन जोशी,  भारत कोकिला लता मंगेशकर और अन्य गायकों के सुरों से सजा हुआ यह गीत भारतीय भाषाओं की एकता के प्रतीक के रूप में आज भी जाना जाता है।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने किया।  आभार समन्वयक डाॅ सविता मसीह ने जताया। कार्यक्रम में, लोक भाषाओं में प्रस्तुति के लिए विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।  डाॅ मुन्नालाल चौधरी, डाॅ. मानसिंह बघेल, प्रो. गनेश मंतारे,  अतिथि विद्वान पूनम ठाकुर, वर्षा तिवारी,  विजेन्द्र बरमैया,  विकास मेश्राम, डाॅ संतलाल डहेरिया,  डाॅ. जे नावकर, एमए हिन्दी के छात्र-छात्राओं सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवी विद्यार्थियों तथा काॅलेज स्टाॅफ की उपस्थिति रही।

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