धर्म मध्य प्रदेश सिवनी

माता-पिता की सेवा ही मानव का सबसे बड़ा दायित्व है : हितेंद्र शास्त्री

सिवनी/केवलारी। धर्म नगरी केवलारी में तिवारी परिवार उगली नाका में आयोजित श्री शिव महापुराण में पुराण के चतुर्थ दिवस प्रवक्ता श्री हितेंद्र पांडेय जी भगवान शिव की अनेक कथाओं का श्रवण कराया।जिसमे शिव भक्तों ने भगवान शिव की अनेक कथाओं का रसपान किया। महाराज श्री ने भगवान की पूजन पाठ के साथ हम सभी के घरों में उपास्थित माता पिता रूपी भगवान की सेवा को सर्वोत्म पूजन बताए है। महाराज श्री ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए माता पिता की सेवा को मनुष्य के लिए सर्वोत्तम कार्य है। महाराज श्री ने कहा की कलियुग में माता पिता और गुरु को सेवा से बढ़कर कोई अनुष्ठान नही है।

महाराज श्री ने बताया की अगर किसी की इच्छा ही की उसे धर्म के लिए खर्च करना है उसके लिए आवश्यक नहीं है कि वह किसी पंडित जी को दान दे। जो धर्म के हिस्से में किया जाने वाला धन है वह समाज में रहने वाले दीन दुखियों के ऊपर खर्चा कीजिए । कोई परिवार में गांव बस्ती में गरीब है उस कन्या के विवाह के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार उस में सहयोग कर दीजिए। अस्पतालों में बहुत सारे लोग हैं जिनका कोई ठिकाना नहीं है छोटे-छोटे जो गरीब निर्धन वर्ग हैं उनके रोगियों के लिए उसमें पैसा खर्च कर दें । समाज का हित करने के लिए दीन दुखियों के ऊपर भी दान किया जाता है जिसे सबसे बड़ा धर्म बतलाया गया हे।

आपको अगर भगवान को प्रसन्न करना है तो सबसे पहले अपने मन के द्वारा अपने बुद्धि के द्वारा अपने चित्त के द्वारा अपने मन को निर्मल बनाना पड़ेगा समाज में केवल शास्त्र का ज्ञाता विद्वान नहीं हे गुणों को प्रशंसनीय आवश्यकता है ऐसा व्यक्ति भी समाज में विद्वान कहलाता है जो दूसरो को अपनी बातों से सामने वाले व्यक्ति की प्रसन्नता करे जिससे सामने वाले को प्रसन्न मिले। इससे भगवान की प्रसन्नता होती है। भगवान को यदि प्रसन्न करना है तो केवल मंदिर में जल चढ़ाने से पूजन करने से भगवान नहीं मिलेंगे । सबसे पहले तो चलते फिरते भगवान हमारे घर में विराजमान है बूढ़े बुजुर्ग ब हमारे परिजन हैं चाहे वह कोई भी हो ।आप यदि सामूहिक रूप से रहने वाले सदस्यों को प्रसन्न रखने पर भगवान प्रसन्न होते हैं। यदि आप अपने घर परिवार को प्रसन्न नहीं कर सकते हैं तो भगवान को प्रसन्न करने में भी बहुत विलंब होगा। इसलिए परिजनों को प्रसन्न रखने से भगवान प्रसन्न होते हैं।

महाराज श्री ने आगे बताया की अगर कोई व्यक्ति 100 साल से ज्यादा जीना चाहता है, जो व्यक्ति दीर्घायु होना चाहता है,जो नाती पंथी , पंथी और उसके बाद संति को भी देखना चाहता हे तो उसके लिए क्या करें । जो ज्यादा जीना चाहता है 100 वर्ष डेढ़ सौ वर्ष 200 वर्ष या उससे ज्यादा तो उसे गुरुवार के दिन देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गुरु भगवान की प्रशंसा करने के लिए पीले वस्त्र पीली वस्तुओं का भोजन करना चाहिए। साथ ही पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। घी वाली खीर बांटना चाहिए इससे आप दीर्घ आयु होंगे।
परिवार में कलह व टैंसन भी दूर हो जाए इसके लिए क्या करें श्री सूत जी महाराज बदला रहे हैं आपको चारों तरफ खुशहाली चाहिए चारों तरफ अच्छा देखना चाहते हैं घर में परिवार में समाज में गांव में शहर में तो इसके लिए आप भोगों की प्राप्ति करने के लिए सड्यूक्त भोजन देते हैं ।ब्राह्मणों को भोजन करते हैं शुक्रवार के दिन भगवान को अर्पण करके प्रसन्नता से उसका प्रसाद वितरण करते हैं ऐसे लोगों को सभी प्रकार का सुख प्राप्त होता है। महाराजश्री आगे बताते हैं कि आरोग्य होने के लिए क्या करें, आरोग्यता को ले लिए क्या करें , शनि देव को सोमवार के दिन भगवान देवाधिदेव महामृत्युंजय महादेव को सुंदर खीर स्वादिष्ट भोजन कराके अर्पण करने से किसी के परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती।

महाराज श्री ने आगे बताया की कहां पोजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। जहां बेल का वृक्ष लगा रहता है वहां पूजन करने से भगवान का नाम लेने से पुण्य प्राप्त होता है जहां बेल का वृक्ष नहीं होता है वहां तुलसी के वृक्ष का महत्व है तुलसी के वृक्ष के किनारे बैठ कर के भगवान का भजन पूजन कर सकते हैं जहां पीपल के वृक्ष होता है वहां पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते है। किसी देवालय में आप भगवान का संकीर्तन पूजन करते हैं तो उसका 10 गुना ज्यादा महत्व बताया गया । सप्ततीर्थ भूमि का तट भी 10 गुना महत्व रखता है व भगवान प्रसन्न होते हैं। नदियों के किनारे पूजन करने से भी भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। नदियों के किनारे से बढ़कर समुद्र का किनारा पवित्र माना गया हे।

साथ ही जो मनुष्य पर्वत पर तपस्या करते हैं विशेष कर ऐसे पर्वत जिसमे जंगली वन्य जीव रहते हैं वहां पूजन करने से भगवान की प्रसन्नता शीघ्रता से होती है व भगवान कृपा करते हैं इसलिए लोग सारे पर्वतों को छोड़कर के हिमालय पर्वत में जाते हिमालय की तलहटी में जाकर के भजन करते हैं ।जो समुंदर से भी ज्यादा जो पहाड़ों का ऊपर की स्थान है ।ऐसे पर्वत पर तपस्या करने से भगवान की प्राप्ति शीघ्रता से हो जाती है। और मनुष्य का मन जहा लग जाए वह तीर्थ से मंदिर से देवालय से वृक्ष से समुद्र के तट से और पर्वत के शिखर से भी बढ़कर के स्थान बतलाया गया है जहां आपका मन लग जाए वह सर्वश्रेष्ठ स्थान बताया गया है। इस तरह अपने मन की शांति जहां मिलती है वहीं भगवान की कीर्तन पूजन करना चाहिए घर पर रहकर भी मन को लगाकर भगवान का भजन करने से पुण्य मिलता है।

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