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सिवनी के बबरिया तालाब के पास शंकराचार्य पार्क पूरी तरह से बदहाल
सिवनी। जिले से 154 किलोमीटर सुदुर नर्मदांचल घँसौर जनपद की ग्राम झिंझरई निवासी समाज सेवी नारायण सिंह बैजनाथ पटेल और सिवनी के सन्तोष दुबे ने शंकराचार्य पार्क के जीर्णोद्धार की मांग की है।
सिवनी जिला के दिघोरी में जन्मे धर्म सम्राट विश्व विख्यात अनन्त विभूषित ज्योतिष और द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी की स्मृति को जीवंत सँजोये रखने के लिये बाबरिया तालाब के पास शंकराचार्य पार्क के सौंदर्यीकरण, संरक्षण, बाउंड्रीबाल, पेड़ पौधे, लाइट, चौकीदार की व्यवस्था जीर्णोद्धार के लिए समाजसेवी नारायण बैजनाथ झिंझरई ओर सन्तोष दुबे सिवनी ने जिला के कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग, सीएमओ नगरपालिका सिवनी, कमिश्नर जबलपुर बी चंद्रशेखर, लखनादौन विधायक योगेश सिंह, सिवनी बालाघाट सांसद ढालसिंह बिसेन, केंद्रीय स्पात एवं ग्रामीण विकाश राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली भारत सरकार और सांस्कृतिक पर्यटन सचिव, आयुक्त, प्रबंधक मध्यप्रदेश शासन भोपाल को पत्र लिखकर निवेदंन किया कि विश्व विख्यात संत धर्म सम्राट जिन्होंने सिवनी जिला को भारत ही नही बल्कि देश विदेश में अपनी धर्म की पताका एवं विश्व बंधुत्व की अलख जगाई उनके नाम से यह पार्क का जीर्णउद्धार शीघ्र किया जावे की मांग की गई है।
सिवनी जिले में जन्म लेने के बाद धर्म पताका फहराने वाले धर्मसंस्थापक, धर्मरक्षक, विश्वविख्यात जगतगुरू शंकराचार्य द्वि पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद जहाँ अब स्वामी जी के नाम से चौक चौराहों का नामकरण करने भक्त अनुयायी आगे आ रहे हैं जो अच्छी बात है। लेकिन जिला मुख्यालय स्थित बबरिया तालाब से लगा करोड़ो रूपये की लागत से शंकराचार्य जी के नाम से बना शंकराचार्य पार्क कई सालों से बदहाल पड़ा है।
जिला से 154 किलोमीटर सुदुर घँसौर जनपद की आदिवासी ग्राम पंचायत झिंझरई निवासी समाजसेवी नारायण सिंह बैजनाथ पटेल ने मीडिया के माध्यम से कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग से मांग की है कि बबरिया तालाब सिवनी के पास करोड़ो रूपये खर्च कर शंकराचार्य पार्क बनाया गया है। जिसे देखने, घूमने के लिए अनेक परिवार लालाइत रहते है और सुबह-शाम उक्त पार्क के समीप मार्ग पर टहलने, शुद्ध हवा लेने के लिए जाते हैं। उक्त पार्क को अन्य जिलों के सुव्यवस्थित पार्क की तरह शीघ्र ही बनाया जाए जिससे लोग पार्क मैं घूमने-फिरने बैठने के लिए यहां पहुंच सके।
शहर में पार्क के नाम से एक मात्र स्थान यही ऐसा है जहां पार्क के लिए सबसे ज्यादा जगह उपलब्ध है। इसके साथ ही यहाँ खुले में उपयुक्त स्थान पर है। इससे पहले नगर पालिका प्रशासन ने पार्क के निर्माण कार्य में रुचि दिखाई व लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर पार्क का सौंदर्यीकरण भी किया लेकिन धीरे-धीरे नगर पालिका प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते पार्क बदहाल स्थिति में पहुंच गया है।
इस पार्क में शराबियों व असामाजिक तत्वों का डेरा जमा रहता है, जिसके चलते शहरवासी पार्क में जाना छोड़ दिए हैं। इसके साथ ही पार्क के सौंदर्यीकरण के लिए जो निर्माण कार्य कराए गए थे उसे भी तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। देखरेख के अभाव में यहां लगाए गए पत्थर, लोहा, रॉड आदि चुरा लिए गए है। बाउंड्रीवाल नही होने से मवेशियों के जमावड़ा लगा रहता है। बैठने के लिए रखी गई कुर्सियों को तत्वों ने तोड़ दिया है। जगह-जगह शराब की खाली बोतलें, कांच के टुकड़े, डिस्पोजल आदि पड़े नजर आते है। पार्क निर्माण के बाद प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली।



















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