सिवनी/कहानी। नगर कहानी में जारी श्रीमद् भागवत महापुराण के चतुर्थ दिन व्यासपीठ में विराजित कितनी हो गई पंडित हरिओम शास्त्री के द्वारा विभिन्न चरित्रों का वर्णन भागवत में उल्लेखित अनुसार किया गया। विभिन्न हास्य सामाजिक धार्मिक जंगलों से ओतप्रोत कथा को विस्तार देते हुए चतुर्थ दिन के अंतिम चरण में श्री कृष्ण जन्म जन्म महोत्सव ने श्रोता गण भाव विभोर होकर जमकर झूमे
निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा – पंडित हरिओम कृष्ण शास्त्री जी के मुखारविंद से कहानी में चित्रकान्त शिवहरे के द्वारा बस स्टैंड कहानी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वतीय दिवस कथा के दौरान बताया कि भगवान कहते हैं मेरी भक्ति तो करते हो मुझे हृदय में विराजित देखना चाहते हो तो सर्वप्रथम अपने ह्रदय का मेल अलग करो तो जिज्ञासु भक्त ने प्रश्न किया कि प्रभु आप कृपा कर बताइए कि मेरे अंदर मेल क्या है भगवान ने कहा मेल हम बताते हैं तुम्हारे अंदर जो काम क्रोध लोभ मोह ईर्ष्या द्वेष जलन छल कपट इत्यादि जो भरा हुआ मेल है वह अलग कर दो क्योंकि मुझे भक्तों का निर्मल हृदय चाहिए इसीलिए यह सब नरक के पंथ हैं।
यदि हृदय में इतने सारे पदार्थों को भरे हैं तो भगवान का आना असंभव है तो भगवान ने विधि बतलाई कि मुझे कैसे पा सकते हो यही प्रयत्न करके हम उस परमपिता परमेश्वर को अपने हृदय में विराजमान कर सकते हैं
ज्ञात होवे कि श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन 9 नमम्बर से 16नम्बर तक आयोजित है।





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