सिवनी। (भोपाल से)। मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के के संचालक नियम कानून को ताक में रखकर विद्यार्थियों का दाखिला भारी भरकम फीस लेकर कर तो रहे हैं लेकिन मापदंडों में खरे नहीं उतर रहे हैं। नर्सिंग कॉलेज के संचालन के लिए जो निर्धारित मापदंड है उसमें से महज कुछ जांच में ही 93 कॉलेज फर्जी पाए गए हैं, जबकि संपूर्ण नियमावली के तहत जांच की जाए तो फर्जी नर्सिंग कॉलेज की संख्या और भी बढ़ जाएगी। फर्जीवाड़े से करीब 11 हजार छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
सिवनी में केयर कॉलेज ऑफ नर्सिंग का नाम शामिल है। वही सिवनी जिले की सीमा से लगे जिलों में बालाघाट में तीन, छिंदवाड़ा में एक, मंडला में दो, व जबलपुर में सात नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं जिनकी मान्यता रद्द कर दी गई है।
2018-19 में प्रदेश में 448 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज थे, लेकिन कोरोना के संकट में इनकी संख्या एक साल में ही तेजी से बढ़कर 667 हो गई। इस दौरान अस्पतालों मे मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ गए। लोग प्राथमिक उपचार के लिए तक तरस गए। नियमों के हिसाब से हर नर्सिंग कॉलेजों के पास खुद का न्यूनतम 100 बेड का पेरेंटल हॉस्पिटल होना चाहिए था, जिसमें छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग कराई जा सके, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर खोले गए इन नर्सिंग कॉलेजों के पास अस्पताल तो छोड़िए बिल्डिंग और मूलभूत संसाधन, फैकल्टी सब कागजों में ही दर्ज मिला। इस मामले को लेकर जनवरी 2022 में हमने मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
इसमें हमने कोर्ट में हमारी एसोसिएशन के सदस्य लॉ छात्रों द्वारा खींचे गए नर्सिंग कॉलेजों के फोटो और तमाम सबूत भी पेश किए, साथ ही आरटीआई से मिले हुए दस्तावेज भी कोर्ट के सामने पेश किए। इसके बाद कॉलेजों की जांच कराई गई। नियमों को ताक पर रखकर मान्यता देने वाली मप्र नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों ने उसमें भी गड़बड़ी करने की कोशिश की और कोर्ट को इस वर्ष 2022 में नए खुले हुए सभी 49 कॉलेज नियमानुसार निरीक्षण कर जांच पड़ताल कर अनुमति देने का शपथ पत्र दिया। कोर्ट ने जब पूरे मामले के हमारे द्वारा एकत्रित किए गए सबूत देखे तो नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार के शपथ पत्र के कथनों को संदिग्ध पाया। कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार को सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं, जो कॉलेज इस जांच के कारण बंद होंगे, उसमें अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को भी दांव पर नहीं लगने दिया जाएगा। काउंसिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे समस्त छात्रों को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा।
सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला, बड़वानी, बैतूल, नर्मदापुरम, धार, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खरगोन, पन्ना, विदिशा, टीकमगढ़, शहडोल, सीहोर आदि जिलों के कॉलेज शामिल हैं। इनमें से कुछ कॉलेजों में दिल्ली, यूपी, राजस्थान और हरियाणा के छात्रों ने भी प्रवेश लिया था।
दो प्वाइंट्स पर हुई जांच में खुल गई पोल – मामला मप्र हाईकोर्ट तक पहुंचने के बाद अभी मुख्य तौर पर सिर्फ दो प्वाइंट्स पर ही जांच कराई गई है। नर्सिंग कॉलेजों में बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की जांच में ही भारी गड़बड़ियां मिल चुकी हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यदि इन नर्सिंग कॉलेजों की बारीकी से जांच कराई गई तो अस्पतालों का फर्जीवाड़ा भी सामने आ जाएगा।
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