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सिवनी। विकासखंड घंसौर अंतर्गत केदारपुर में 10 बिस्तरों वाला अस्पताल पिछले 23 वर्षों से डॉक्टर विहीन है। मरीजों का उपचार यहां भगवान भरोसे चल रहा है। वर्षों से पदस्थ एएनएम, वार्ड बॉय के द्वारा ही यहां मरीजों की जांच, उपचार, टेस्ट और दवा इंजेक्शन का कार्य पूरी तरह से मनमानी व मनमर्जी से चल रहा है। अस्पताल में पदस्थ कुछ स्वास्थ्य कर्मी जिनकी पदस्थापना पीएससी केदारपुर अस्पताल में तो है लेकिन वह भी सांठगांठ के चलते पीएससी से दूरी बनाकर घंसौर में अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं। और उनका वेतन बकायदा पीएससी केदारपुर से निकल रहा है।
अस्पताल भवन की स्थिति भी अत्यधिक दयनीय हो चुकी है। वार्ड व अस्पताल के अधिकांश कमरों में बारिश का पानी सीपेज होकर टपकता है। फर्श में भी पानी जमा रहता है। साथ ही अस्पताल तक पहुंच मार्ग भी जर्जर है व कीचड़ युक्त होने से मरीज को अस्पताल तक पहुंचने वाला एंबुलेंस वाहन भी अस्पताल के बाहर ही कीचड़ में फंस जाता है। स्वास्थ्य के नाम पर लाखों, करोड़ों का बजट मिलने के बाद ही अस्पताल भवन से लेकर उपचार के लिए पदस्थ चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मी की अनदेखी के चलते मरीजों का उपचार भगवान भरोसे ही है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केदारपुर (बम्हनी) 10 बिस्तर का अस्पताल है। यहां सामान्य मरीजों, घायलों व गर्भवती महिलाएं उपचार कराने पहुंचती हैं। यहां कई वर्षों से डॉक्टर नहीं है। पूरा अस्पताल महज एएनएम के भरोसे चल रहा है। ग्रामवासियों, मरीजों ने बताया कि जब से अस्पताल खुला है तब से यहां उन्होंने किसी डॉक्टर को देखा ही नहीं है। वर्तमान में यहां 2 एएनएम, एक वार्डबॉय, एक लैब टेक्नीशियन, एक स्वीपर तथा एक टेलीमेशन ऑनलाइन कर्मी है वहीं इनमें से कुछ कर्मी घंसौर में ही रहकर अपनी ड्यूटी बजाते हैं। और वेतन केदारपुर से ले रहे हैं।
जर्जर भवन, सीपेज से परेशान मरीज – 10 बिस्तर वाला स्वास्थ्य केंद्र केदारपुर का लोकार्पण वर्ष 7 जून 1999 को मंत्री श्रीमती उर्मिला सिंह ने किया था। भवन निर्माण के बाद अभी तक यहां कोई मरम्मत कार्य नहीं किया गया है। जिसके चलते हर साल बारिश में अस्पताल की छत से पानी की बूंद मरीजों के ऊपर व कमरों में टपकती रहती है। फर्श गीला रहता है। भर्ती गर्भवती महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जमीन में गीले फर्श में पैर रखने पर भी बीमार हो रही हैं। ऐसे में जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो रहा है।
फंसी एम्बुलेंस – अस्पताल के सामने का मार्ग भी कच्चा है। हाल ही में मरीज को लेकर एक एंबुलेंस जब अस्पताल पहुंची तो एंबुलेंस के पहिए कीचड़ में फंस गए। मरीजों को बाहर से ही अस्पताल के अंदर किसी तरह से पहुंचाया गया। वहीं यहां पंचायत में सीसी रोड का निर्माण तो कराया है लेकिन यह मार्ग भी काफी क्षतिग्रस्त हो गया है, जिसके चलते आवागमन में मरीजों व वाहन चालकों को खासी और सुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
कई गांव से आते हैं मरीज – अस्पताल में गांव केदारपुर, जामुनपानी, उमड़ीह, बखारी, चरगांव, गढ़ी, सुदामापुर, कुकरी, कुकरा, पाटन, केवलारी, दलका, धूमा, छिंदवाहा, किंदरई, पोंड़ी, बदेली, पद्दीकोना, सेलूआ, व्यवहारी, धनवाही, गंगपुर, खुर्सीपार सहित अन्य लगभग 50 गांव से मरीजों का आना-जाना सतत रूप से लगा रहता है। इसके बाद भी 10 बिस्तरों में वाले अस्पताल में व्यापक अनियमितताओं के चलते उपचार भगवान भरोसे ही हो रहा है।
लंबे समय से रिक्त है पद – अस्पताल में मरीजों की आवाजाही सतत रूप से बनी है। लेकिन यहां लंबे समय से डॉक्टर, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स की रिक्तता कई वर्षों से बनी हुई है। साथ ही एंबुलेंस भी नहीं है। उपचार में अन्य सुविधाओं के चलते मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही समय पर उचित उपचार नहीं मिलने से मरीज केदारपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर मंडला जिला उपचार कराने जाने मजबूर होते हैं। तो वहीं कुछ मरीज केदारपुर से जबलपुर 100 किलोमीटर दूर उपचार कराने जाते हैं। इससे मरीजों का समय जहां बर्बाद होता है वही उनकी का धन भी काफी खर्च होता है। इस मामले में ग्रामवासियों ने बताया कि डॉक्टर की पदस्थापना किए जाने के लिए कई बार पत्र लिखा गया लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यहां लगभग 23 वर्षों से पदस्थ एएनएम के भरोसे ही अस्पताल संचालित हो रहा है।
इस मामले में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर घंसौर भारती सोनकेसरिया ने बताया कि केदारपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई वर्षों से डॉक्टर नहीं है। इसके लिए अनेक बार पत्राचार किया जा चुका है। अस्पताल भवन जर्जर हो गया है। नए भवन की स्वीकृति के लिए भोपाल पत्र लिखा गया है। ए एन एम व अन्य स्वास्थ्य कर्मी को प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि उपचार सही हो सके।
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