पीजी काॅलेज में हुआ प्रेमचंद जयंती का आयोजन
सिवनी। हिन्दी और विश्व साहित्य के महान रचनाकार प्रेमचंद की 142 वीं जयंती पर पीजी काॅलेज में प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने प्रेमचंद को याद किया और उनकी प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किये।
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राध्यापकों ने प्रेमचंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया। वक्तव्य की शुरुआत करते हुए डाॅ सविता मसीह ने कहा कि प्रेमचंद के पात्र अमर हैं। प्रेमचंद की अनूठी भाषा शैली ने उन्हें महान रचनाकार बनाया।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्राचार्य डॉ संध्या श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेमचंद की लोकप्रियता आज भी बरकरार है। कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रेरणा का स्रोत है। कहा कि यदि भारत को जानना है तो प्रेमचंद का साहित्य पढ़ना होगा ।
कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष
डाॅ रविन्द्र दिवाकर ने कहा कि प्रेमचंद महान विचारक और दार्शनिक भी थे। सादगी और सरलता प्रेमचंद के गुण थे।
इतिहास विभाग के डाॅ डीपी ग्वालवंशी ने पंच परमेश्वर कहानी का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रेमचंद आदर्शवादी कथाकार थे। यह कहानी न्याय व्यवस्था के लिए प्रेरणा है। अर्थशास्त्र के विभाग अध्यक्ष डाॅ अरविंद चौरसिया ने कहा कि प्रेमचंद समाज सुधारक साहित्यकार थे।
हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ रविशंकर नाग ने कहा कि प्रेमचंद जैसे कथाकार सदियों बाद पैदा होते हैं । प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से हमें अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान प्रेमचंद और भी प्रासंगिक हो गये हैं। कहा कि प्रेमचंद भारत के स्वाधीनता आंदोलन के सच्चे सिपाही थे। प्रेमचंद का साहित्य स्वतंत्रता आंदोलन का जीवंत दस्तावेज है। कहा कि प्रेमचंद न केवल हिन्दी बल्कि विश्व साहित्य के महान रचनाकार हैं। उनकी कहानियां समूचे विश्व साहित्य की अनमोल धरोहर हैं । कहा कि जब तक भारतीय समाज में समस्याएँ हैं, प्रेमचंद का महत्व बना रहेगा।
प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हुआ प्रश्नमंच का आयोजन
प्रेमचंद जयंती के अवसर पर प्रेमचंद के व्यक्तित्व और साहित्य पर प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे के संचालन में बेहद ही रोचक और ज्ञानवर्धक प्रश्नमंच का आयोजन हुआ, जिसे सभी विद्यार्थियों ने बहुत पसंद किया और उत्साह के साथ बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रश्नों के सही जवाब देने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया। प्रेमचंद के जीवन पर वक्तव्य देने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में एमए हिन्दी के विद्यार्थी दीपांशु हेडाऊ, शशिशेखर दीक्षित, पलक जाम्भुलकर, नितेश चौबे, कुसुमलता सनोडिया एवं अन्य छात्र छात्राओं ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार साझा किये।
कार्यक्रम में डाॅ एम सी सनोडिया, डाॅ सुनील कुमार मिश्रा, शिक्षक विजेन्द्र बरमैया, एल्युमनी शिव कुमार यादव तथा अन्य शिक्षकों सहित बीए तथा एमए हिन्दी के विद्यार्थी मौजूद रहे। प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा आभार जताया।
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