सिवनी। गांव खैरी में जारी श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान यज्ञ के आज अंतिम दिन की कथा में कथावाचक हितेंद्र पांडे शास्त्री बनारस ने रविवार को श्री कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया।
उन्होंने आगे बताया कि भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की तरह दोस्ती होनी चाहिए। सुदामा चरित्र की जानकारी रखकर सभी लोगों को भगवान से संबंध जोड़ना चाहिए। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास हितेंद्र शास्त्री ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी से समझ सकते हैं । उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने बाल सखा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना। प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए नंगे पांव तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया।
उन्होंने कहा कि कलयुग में भागवत कथा श्रवण से हर मनोकामना की पूर्ति होती है। इसके साथ मुक्ति व मोक्ष प्राप्त होता है। भागदौड़ के समय में हर किसी को भगवान की पूजा के लिए अवश्य समय निकालना चाहिए।
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