सिवनी। भगवान के निर्वाण कल्याणक के इस महामहोत्सव को देखकर अपनी मोह माया की ग्रंथि/ गांठो को यदि कुछ ढीला किया जाये, जलाया व नष्ट किया जाये तो आयोजन में सम्मिलित होने की हमारी सार्थकता है। भगवान के समान हम भी संसार से पार हो और सिद्ध शिला के वासी बनें, यही इस कल्याणक को मनाने का प्रयोजन है। उक्त उद्गार मुनिश्री आदित्य सागर जी ने व्यक्त किये।
आयोजन में पात्र नेमी राजुल यतेन्द्र वर्षा जैन माता पिता आशीष श्वेता सौधर्म इंद्र संजय विभा नायक महायज्ञ नायक प्रणय प्रियंका यज्ञनायक मिलन नीलम बाझल कुबेर सेठ सुनील अर्चना ईशान इंद्र नीरज नेहा जैन सानत इंद्र सुरेश आभा जैन, ब्रम्होन्द्र इंद्र अभय अभिलाषा जैन सानत इंद्र प्रशांत प्रीति जैन कामिल इंद्र प्रियाशु मोनिका शुक्र इंद्र निधि श्वेता नायक ध्वजारोहण कर्ता यश स्वाति जैन बनी।
आयोजन में समाज के गणमान्य नागरिको की उपस्थिति में प्रतिमाओं को लेकर भव्य जुलूस निकाला गया दोपहर में मुनि श्री आदित्य सागर अप्रेमित सागर, सहज सागर तथा पंडित अजीत शास्त्री तथा कोल्हापुर से आये शास्त्रीयों की उपस्थिति में स्थापना एवं अभिषेक आयोजित किया गया।








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