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सिवनी। भागवत कथा को हमें एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए। जितने विश्वास के साथ हम भगवान की कथा सुनते हैं उतना ही फल हमें अधिक प्राप्त होता है। दुनिया में कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो भगवान की कथा से बड़ा हो।
यह बात मठ मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में कथा प्रवक्ता भागवशुक हितेंद्र पांडे वाराणसी ने बुधवार को श्रद्धालुजनों से कहीं।

उन्होंने आगे कहा कि 18 पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम है, जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवों में शंकर, काव्यों में रामायण, प्रकाश स्रोतों में सूर्य, शीतलता और आह्लाद में चंद्रमा, क्षमाशीलों में पृथ्वी, गंभीरता में सागर और मंत्रों में गायत्री आदि श्रेष्ठ हैं।
उन्होंने कहा कि यह पुराण श्रवण सब प्रकार के कष्टों का निवारण करके आत्मकल्याण करता है। अत: इसका श्रवण सभी के लिए श्रेष्ठ है। देवी भागवत की कथा-श्रवण से श्रोताओं को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। सभी तीर्थों और व्रतों का फल देवी भागवत के एक बार के श्रवण मात्र से प्राप्त हो जाता है।
मठ मंदिर परिसर में आचार्य क्षितिज तिवारी श्रीधाम द्वारका के द्वारा विधि विधान से यज्ञ भी किया जा रहा है।
इस धार्मिक आयोजन के आयोजक यशोवर्धन मिश्र ने मां भगवती की पूजा व श्रीराम महायज्ञ के महत्व की जानकारी श्रद्धालुजनों को दी।
11 अप्रैल सोमवार को दोपहर 12:00 से महाप्रसाद वितरण
वासन्तिक नवरात्र के चलते यहां प्रतिदिन सुबह 9 से 10:30 बजे तक सहस्त्र अर्चन व प्रतिदिन सुबह 11:30 से दोपहर 2:30 बजे तक यज्ञाहुतियाँ दी जा रही हैं तथा दोपहर 3 बजे से 6:00 बजे तक श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का वाचन किया जा रहा है। रविवार 10 अप्रैल को मध्यान्ह काल में श्रीराम नवमी महामहोत्सव यज्ञ मंडप में श्री राम जन्म अभिषेक तत्पश्चात पूर्णाहुति गोधूलि लग्न में कथा समापन होगी। साथ ही 11 अप्रैल सोमवार को यज्ञ स्थल पर दोपहर 12:00 से महाप्रसाद वितरण किया जाएगा।










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