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15 Oct 2025, Wed

जिले के कृषि आदान विक्रेताओं का कम लागत की प्राकृतिक खेती पर प्रायोगिक प्रशिक्षण संपन्न

सिवनी। देसी डिप्लोमा पाठ्यक्रम तृतीय बेच के कृषि आदान विक्रेताओं का कम लागत की प्राकृतिक खेती पर प्रायोगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के प्राकृतिक उत्पाद निर्माण इकाई में संपन्न हुआ।

कम लागत प्राकृतिक खेती के अंतर्गत बीजामृत जीवामृत दशपर्णीअर्क नीमास्त्र ब्रह्मास्त्र हुमिक एसिड निर्माण जैविक फफूंद नाशक दवा बनाने की विधि पर विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एनके सिंह द्वारा दिया गया।

आपके द्वारा बताया गया कम लागत की प्राकृतिक खेती में गांव का पैसा गांव में और शहर का पैसा भी गांव में आता है। कम लागत की प्राकृतिक खेती में लागत भी कम लगती है और हमारा उत्पादन भी उच्च गुणवत्ता का प्राप्त होता है। इस तकनीक में देसी गाय के गोबर गौमूत्र और थोड़ी मात्रा में बेसन गुड का इस्तेमाल होता है 1 एकड़ जमीन के लिए 10 किलोग्राम देसी गाय का गोबर 8 से 10 लीटर देसी गाय का गोमूत्र 1 से 2 किलो गुड़ 1 से 2 किलो ग्राम बेसन 180 लीटर पानी और 1 किलो पेड़ के नीचे की मिट्टी इन सभी सामग्री को एक प्लास्टिक के ड्रम में डालकर लकड़ी के डंडे से घोलना है और इस घोल को छाया में रख देना है।

प्रतिदिन दो बार सुबह शाम घड़ी की सुई की दिशा में लकड़ी के डंडे से 2 मिनट तक इसे घोलना है गर्मी के महीने में जीवामृत बनने के बाद 7 दिन तक उपयोग में लाना है। यही जीवामृत जब सिंचाई के साथ खेत में डाल दिया जाता है तो भूमि में जीवाणुओं की संख्या में अविश्वसनीय रूप से वृद्धि होती है और जमीन के भौतिक रासायनिक व जैविक गुणवत्ता में सुधार होता है।

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