सिवनी। महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में संतोष बरमैया की रचना
चली सवारी महादेव की, दर्शन लाभ उठाएं।
यह अवसर है पुण्यार्जन का, अवसर नहीं गवाएं।
दर्शन लाभ उठाएं,,,, दर्शन लाभ उठाएं,,,
डम-डम, डम-डम डमरू बाजे, शंखनाद होता है।
करतल ध्वनियाँ जयकारा भी,,, मंत्रजाप होता है।
टन-टन, टन-टन घण्टा बाजे, शिखर ध्वजा लहराती,
भक्ति भजन में शिव की सेना, मस्त मगन हो जाती।
भांग धतूरा भस्म चढ़ाकर,,,,, आओ धुनि रमाएं।।
यह अवसर है पुण्यार्जन का, अवसर नहीं गवाएं।
दर्शन लाभ उठाएं,,,, दर्शन लाभ उठाएं,,,
शीश शशि अरु गंगधार है, कण्ठन सर्प की माला।
विष का प्याला त्रिशूलधारी, लिपटाये मृग छाला।
मुखमंडल में तेज सूर्य का, नैनन जगत समाया।
नीलकण्ठ की अद्भुत काया, सृष्टि की महामाया।
प्राणी सारे अपनी धुन में, शिव की महिमा गाएं।।
यह अवसर है पुण्यार्जन का, अवसर नहीं गवाएं।
दर्शन लाभ उठाएं,,,, दर्शन लाभ उठाएं,,,
गण, नंदी, गंधर्व, देव सब,,,,, चरनन शीश झुकाते।
भोले के दर्शन से जीव-जन,,,,, पाप मुक्त हो जाते।
भक्तों की टोली है चलती, ,,,,,, बम-बम भोले रटते।
योगी-जोगी, संत-साधु, जय शिव-शक्ति को जपते।
सत्य-शिवम है धर्म-सनातन, जन-जन तक पहुचाएं,
यह अवसर है पुण्यार्जन का,,,, अवसर नहीं गवाएं।
दर्शन लाभ उठाएं,,,, दर्शन लाभ उठाएं,,,
संतोष बरमैया “जय” कोदाझिरी, कुरई, सिवनी।
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