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9 Nov 2025, Sun

शब्द संपदा हैं, इन्हें तोल मोल कर बोलें : डॉ. सिंह

सिवनी/छपारा। शासकीय महाविद्यालय छपारा में विकास और रोजगार पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। शासकीय महाविद्यालय छपारा में संप्रेषण कौशल व्यक्तित्व विकास और रोजगार की संभावनाएं विषय पर आयोजित एक दिवसीय वेबीनार में मुख्य वक्ता बतौर बोलते हुए छिंदवाड़ा जिले के व्यक्तित्व विकास के जिला समन्वयक व मोटीवेटर प्राध्यापक डॉ. अमर सिंह ने कहा कि शब्द संपदा हैं, इन्हें मोल तोलकर बोलें,अन्यथा वर्षों में बने रिश्तों को टूटने में देर नहीं लगती।

भाषा रिश्तों को बनाने व बिगाड़ने में एक उल्लेखनीय कारक होती है। पतंग हो या आदमी, विपरीत हवा में ऊंचे उड़ते हैं।उद्यमता स्वरोजगार सृजन की कुंजी है।सबसे मुश्किल दौर से गुजरने वाले ही चमत्कारी परिणाम लाते हैं। उद्यमता स्वरोजगार सृजन की कुंजी है।हुनर की कमी बेरोजगारी की सबसे बड़ी वजह है। छात्र अर्जित ज्ञान को जब व्यवहार में फलदाई नहीं बना पाते हैं तो प्राप्त डिग्री की उपादेयता समाप्त हो जाती है। मुश्किल दौर के अनुभव अवसरों के आकाश में उड़ने के सबक होते हैं। हम स्वयं अपनी विकास की संभावनाओं को रोकने के जिम्मेदार होते हैं। पतंग हो या आदमी विपरीत हवा में ऊंचे उड़ते हैं।जीवन व मृत्यु के बीच की जो भूमि है, उस वर्तमान पर फोकस करके हमसब शक्तिमान बनते हैं। या तो समय पर पसीना बहाओ, या बाद में आंसू पोंछे, चुनाव हमारा है। जो पसीने से नहाते हैं, वे ही इतिहास रचते हैं। हररोज अपनी हदों को तोड़कर मुश्किलों से पार पाई जा सकती है। जिसे मंज़िल पाने की भूख होती है, वह अवरोध पैदा होने पर काम छोड़ने के बहाने नहीं बनाता है। जिसे अकेले चलने का हौसला होता है, उसी के पीछे काफ़िला होता है। प्राचार्य डॉ. जी. एल. झारिया ने कहा कि धरा को ऊंचे कद के योद्धाओं की जरूरत है, न कि शिकायती जीवन जीने वाले अकर्मण्यों की। वेबीनार संयोजिका डॉ. गीता वराडे ने कहा कि सफलता पारदर्शी नजरिया, कार्ययोजना, बलिदान, जुनून, भूख, लक्ष्य प्राप्ति की सतत कार्यसिद्धि व मंजिल पाने की जिद मांगती है। कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. एस. आर.बेलवंशी, डॉ. रिपुल मेहरोत्रा, डॉ. मनीष तिवारी, डॉ. सुशील कुमार प्रजापति, डॉ. अमिताप शर्मा, डॉ. जितेश गौनेकर, डॉ. दामिनी उइके, राजेश कुमार डहरिया, कु.पूजा हाडा, आदि प्राध्यापकों की उपस्तिथि रही। साथ ही महाविद्यालय के छात्र-छात्राओ ने भारी संख्या में उपस्तिथ होकर संगोष्ठी का लाभ प्राप्त किया। छात्र-छात्राओं में सतेंद्र सेन, आकाश राजपूत, विमलेश डहरिया, शिवम बेन, लखन सिंह राजपूत, अम्बेय बेण्डेय, रानी अहिरवार, ममता पटेल, दुर्गेश्वरी पांडेय, लकी जवरे, इत्यादि छात्र-छात्राये सम्मलित थे।

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