– सरकार बताए विशेष गठित सीमांकन समिति ने क्या कार्रवाई की
सिवनी/जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने अतिक्रमण कर सरकारी जमीन पर अवैध मंदिर बनाए जाने के मामले में विशेष गठित समिति द्वारा सीमांकन के मामले में क्या कार्रवाई की गई है। इस पर सरकार को जवाब देने निर्देशित किया है। उल्लेखनीय है कि सिवनी जिले की श्रीमती (लक्ष्मी श्रीवास ) ने याचिका दायर करते हुए तथ्य प्रस्तुत किए कि अनावेदक नरेंद्र टाक भारतीय जनता पार्टी का स्थानीय प्रभावशाली नेता है और वह व्यस्त सड़क के बगल में स्थित शासकीय भूमि पर जहां छिंदवाड़ा रोड एवम नागपुर रोड का संगम है अवैध रूप से मंदिर का निर्माण करवा रहा है जबकि वहां समीप ही पूर्व से ही एक गणेश मंदिर स्थित है। उसने याचिकाकर्ता की निजी स्वामित्व की भूमि का एक हिस्सा भी हड़प लिया है। अवैध मंदिर निर्माण के कारण याचिकाकर्ता को उसने अपनी निजी भूमि पर निर्माण ना करने की भी धमकी दी जबकि याचिकाकर्ता के पास नजूल का अनापत्ति प्रमाण पत्र व नगरपालिका से भवन निर्माण की विधिवत अनुमति भी है। याचिकाकर्ता ने अपनी निजी भूमि पर निर्माण शुरू किया तो उक्त नेता के दबाव में याचिकाकर्ता को ही नोटिस दे दिया गया कि वह शासकीय भूमि में निर्माण कार्य कर रही है और निर्माण कार्य पर स्थगन प्रदान कर दिया और इस बहाने ही आज याचिकाकर्ता की निजी भूमि पर निर्माण कार्य रुकवा दिया गया जबकि शासकीय भूमि पर अवैध मंदिर का निर्माण जारी रहा । याचिकाकर्ता की मांग पर तहसीलदार ने विशेष सीमांकन समिति का गठन कर 9 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश तो दिया किंतु आज तक रिपोर्ट पेश नहीं की गई ।याचिकाकर्ता ने निवेदन किया कि निष्पक्ष रुप से सीमांकन कर शासकीय भूमि पर अवैध मंदिर का निर्माण हटाया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी ने पैरवी की ।
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