कमल ठाकुर की दरियादिली, दे रहे गरीबों को अनाज
सिवनी/केवलारी। न हाथों में काम है न घर पर पर राशन, मदद के नाम पर अब तक कोई सरकारी नुमाइंदा हाल पूछने भी नहीं पहुँचा, ऐसे में रोज काम मजदूरी कर गुजर बसर करने वालों को अब फांके पड़ने की नोबत पेश आ रही है, जिसके चलते समझ पाना मुश्किल है कि आखिर अब किस फरिस्ते का इंतजार करें जो मुसीबत के इस समय को काटने में उनका मददगार हो। उक्त आरोप केवलारी के समाजसेवी ने लगाए हैं।
जिले की केवलारी तहसील मुख्यालय के दर्जनों परिवार जो कि रोज कमाने खाने वाले दिन मज़दूरों की श्रेणी में आते हैं इन दिनों जुगर बसर को लेकर परेशान हैं जिसकी वजह है कि लॉक डाउन के चलते उनके हाथों का रोजगार छिन गया है तो वहीं उनके पास खेती बाड़ी के नाम पर इतनी जमीन नहीं कि इसके अनाज से अपना जीवन यापन कर सकें,इन लोगों के अनुसार कोई ईंट गारे का काम करता है तो कोई होटल,दुकान या फिर कहीं और मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते आए हैं लेकिन इन दिनों चल रहे कोरोना कर्फ्यू और लॉक डाउन के चलते सभी व्यवसाय बंद हैं वहीं निर्माण कर भी नहीं हो रहे ऐसे में रोज कमाने खाने वालों के सामने समस्या यह कि अपना और परिवार के सदस्यों की पेट की आग कैसे शांत करें।
शासन प्रशासन ने नहीं ली सुध- समाजसेवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे लॉक डाउन के दौरान अब तक कोई भी सरकारी मदद गरीबों, जरूरतमंदो को नहीं दी गई है और न ही सरकारी नुमाइंदे इनकी सुध लेने आए,। कई सालों से प्रयास करने के बाद भी आज तक इनके राशन कार्ड भी अनेकों बार आवेदन करने के बाद नहीं बने और न ही कभी राशन की पर्ची मिली ऐसे में इनके हाल ये हैं कि घर पर बिना राशन फांके पड़ने के हालत हैं।
कमल ठाकुर कर रहे मदद – केवलारी में रहने वाले कमल ठाकुर जो कि जल उपभोक्ता समिति के अध्यक्ष हैं,इनका कहना है कि लोग जो इन दिनों राशन की समस्याओं से जूझ रहे हैं। जब उनकी मदद के लिए शासन प्रशासन सामने नहीं आया तब उन्होंने अपने स्तर पर व्यवस्था कर तकरीबन 2 दर्जन परिवारों को 10 किलो गेंहूँ और 5 किलो चावल निजी तौर पर मदद की गई जो कि नाकाफी है इन परिवारों को राशन की पर्ची तुरंत दी जाए साथ ही सभी के राशन कार्ड भी बनाए जाएं जिससे कि सभी को राशन की आपूर्ति हो सके।
क्या कहते हैं जिम्मेदार – केवलारी नगर पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शिव कुमार बघेल का कहना है कि जिस प्रकार से शासन प्रशासन के निर्देश प्राप्त होते हैं। कार्यवाही वैसी की जाती है, फिलहाल इनका सर्वे चल रहा और अब तक 269 परिवारों का सर्वे किया जा चुका है जिन्हें जल्द 3 महीने का अनाज दिलाया जाएगा,वहीं करीब डेढ़ महीने से लगे लॉक डाउन के बाद अब तक मदद न पहुँचने को लेकर उनका कहना था कि नियमों के तहत ही कार्य किया जा रहा है।
लोगों के पास न काम है न घर परिवार का पेट चलाने के लिए राशन ऐसे में जरूरत हैं इन जरूरत मन्दों की समय रहते मदद की जाए न कि सरकारी खाना पूर्ती के चक्कर में इन्हें और मजबूरी के हालातों में झोंका जाए,दूसरी तरफ इस बात पर भी सवाल होने चाहिए कि जिनके पास न कोई जमीन है न ही खेती आखिर उन्हें राशन और आवास की योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा।

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