धर्म सिवनी

सेन समाज ने मनाया घरों में ही धूमधाम से संत शिरोमणि का जन्म उत्सव

सिवनी। जिले में सेन समाज द्वारा संत शिरोमणि सेन जी महाराज का 721वा जन्म उत्सव 8मई शानिवार को अपने अपने घरों मे सेन महराज के छाया चित्र पर माल्यापर्ण कर विधि विधान के साथ पुजन कर मनाया गया।
सेन समाज के आराध्य संत शिरोमणी सेन महाराज की जयंती समाजजन द्वारा घरों में रहकर हर्षोल्लास से मनाई। इस मौके पर समाजजन ने घर-आंगन में दीप जलाए और संत शिरोमणी का पूजन किया। हालांकि लॉकडाउन के चलते हर वर्ष आयोजित किए जाने वाले पारंपरिक आयोजन पहले ही निरस्त कर दिए थे।

हर वर्ष निकाली जाने वाली पारंपरिक शोभायात्रा भी कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते नहीं निकाली गई। कोरोना महामारी के चलते अपने अपने घरों में ही परिवार के साथ धूमधाम से दीपोत्सव के साथ जन्म उत्सव मनाया गया ।एवं ईश्वर से प्रार्थना की गई कि जल्द से जल्द कोरोना के सी महामारी हमारे देश से समाप्त हो जाये।

जंयती के शुभ अवसर पर जानते है इनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें-

संत सेन महराज को मानव जीवन के बीच पवित्रता और सात्विकता का संदेश देने वाले कुल गुरु की उपाधि दी गई है। बता दे महाराज का जन्‍म विक्रम संवत 1557 में वैशाख मास के कृष्‍ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बांधवगढ़ में एक नाई परिवार में हुआ था। बचपन में इनका नाम नंदा था, जिन्हें आगे चलकर सैन महाराज के नाम से प्रसिद्ध प्राप्त हुई,मान्‍यता है की वे एक राजा के पास काम करते थे उनका काम राजा का बाल काटना था। उन दिनों भक्‍त मंडलियों का जोर था। ये मंडलियां जगह-जगह जाकर पूरी रात भजन कीर्तन के आयोजन किया करती थी। एक दिन संत मंडली सेन जी के घर आई सेन जी ईश्‍वर भक्ति में इस तरह लीन हो गए कि सुबह राजा के पास जाना ही भूल गए कहा जाता है कि स्‍वयं ईश्‍वर सेन जी का रूप धारण करके राजा के पास पहुंच गए, सैन महाराज ने गृहस्‍थ जीवन के साथ-साथ भक्ति के मार्ग पर चलकर समाज के सामने एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर दिखाया था।
इन्होंने पूरे समाज को संदेश दिया था कि मनुष्य संसार के सारे कामों को करते हुए भी प्रभु की सेवा कर उनकी कृपा का पात्र बन सकता है। अब इस से ये तो पता चलता ही है इनके द्वारा दिए गए विचार प्रेरक स्तोत्र होंगे
पौराणिक कथाओं के अनुसार मध्‍यकाल के संतों में सेन महाराज का नाम अग्रणी हैं, इन्होंने अपने समस्त जीवन में केवल पवित्रता और सात्विकता पर अधिक ज़ोर दिया। मानव जीव को सत्‍य, अहिंसा और प्रेम का संदेश दिया।

इनका कहना था कि प्रत्येक मनुष्य में ईश्वर का वास है। कहा जाता है संत महाराज सभी मनुष्‍यों में ईश्‍वर के दर्शन करते थे। न केवल उस समय में बल्कि आज भी लोग इनके उपदेशों से अधिक प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि न केवल प्राचीन समय में बल्कि आज भी लोग इनकी तरफ़ खींचे चले आते है।

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