भारत बंद के चलते सिवनी में हड़ताल का दिखा असर, बैंकों में करोड़ों का लेन देन ठप

सिवनी। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारी आज बुधवार को हड़ताल पर हैं। जिसका असर सिवनी में भी देखने को मिला उपभोक्ता जब बैंकिंग कार्य के लिए वे सरकारी बैंक पहुंचे तो यहां हड़ताल के चलते उनका कोई काम नहीं हुआ बैंकों में लेनदेन तक रहा वहीं अन्य विभाग के कर्मचारी भी अपनी विभिन्न मांगों के लेकर हड़ताल पर रहे जिसका खासा असर सिवनी जिले के नागरिकों में देखना पड़ा। बुधवार को उपभोक्ता नगर के बैंक आफ इंडिया, केनरा बैंक सहित अनेक सरकारी बैंकों में पहुंचे तो उपभोक्ताओं के आज कोई काम नहीं हुए। बैंक, बीमा, डाक, कोयला खनन, हाईवे, निर्माण, और कई राज्यों में, सरकारी परिवहन जैसी अहम सेवाएं प्रभावित हुई। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों के देशभर में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल रहे।

ट्रेड यूनियंस निजीकरण और 4 नए लेबर कोड्स के विरोध में हैं। ये केंद्र की उन नीतियों का विरोध कर रही हैं, जिन्हें वे मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक मानती हैं। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक देश में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में 56 करोड़ कर्मचारी है। इसमें इनफॉर्मल सेक्टर में 50 करोड़ और फॉर्मल सेक्टर में 6 करोड़ कर्मचारी है।

सरकार की नीतियों पर सवाल – भारत बंद कर रहे संगठनों ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17-सूत्रीय मांगों का एक चार्टर सौंपा था। इनका कहना है कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं कर रही है। यह मजदूरों-कर्मचारियों के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है।

मजदूर संगठनों के मंच ने यह आरोप भी लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ रही है, जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, मजदूरी में गिरावट आ रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी नागरिक सुविधाओं में सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती हो रही है।

यह भी हड़ताल में रहेंगे शामिल- एनएमडीसी लिमिटेड और अन्य गैर-कोयला खनिज, इस्पात, राज्य सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के श्रमिक नेताओं ने भी हडताल में शामिल होने का नोटिस दिया था। श्रमिक नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है और ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर लामबंदी करने का फैसला किया है। श्रमिक संगठनों ने इसके पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को भी इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी।

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