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विश्व हिंदी दिवस : वैश्विक समाज में बढ़ रहा हिंदी का दबदबा

विश्व हिंदी सम्मेलन के स्वर्ण जयंती वर्ष पर विश्व हिंदी दिवस का हुआ आयोजन

सिवनी। विश्व हिंदी दिवस की 19वीं वर्षगांठ पर पीएम कॉलेज आफ एक्सीलेंस में वैश्विक समाज और हिंदी विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें साहित्यकारों, विद्वान वक्ताओं और प्राध्यापको ने अपने विचार रखे तथा वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हिंदी के महत्व को समझाया.
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की आराधना और पुष्प अर्पण तथा मध्य प्रदेश गान के सामूहिक गायन से हुई.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में सिवनी जिले के साहित्यकार डॉ रामकुमार चतुर्वेदी ने उपस्थित विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी है. कहा कि हिंदी वैज्ञानिक भाषा है, हिंदी में ज्ञान और विज्ञान का अक्षय भंडार समाया है. डाॅ चतुर्वेदी ने हिंदी वर्णमाला आधारित अपनी व्यंग्य रचना का सस्वर पाठ किया, जिसने विद्यार्थियों का मन मोह लिया. उल्लेखनीय है कि डाॅ रामकुमार चतुर्वेदी भोपाल के दसवें और माॅरीशस के ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन में बतौर प्रतिनिधि हिस्सा ले चुके हैं. कार्यक्रम के दौरान डाॅ चतुर्वेदी ने स्वरचित पुस्तकें काॅलेज को भेंट की. छात्रा सोनम अवधिया ने महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का चित्र हिंदी विभाग को भेंट किया.
विशेष वक्ता के रूप में सिवनी जिले के वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तपिश ने वक्तव्य में कहा कि हिंदी हमारा मान है, सम्मान है। मानवीय संवेदना, देश प्रेम भ्रष्टाचार गरीबी आदि विषयों पर उन्होंने अपनी शानदार रचनाओं का सस्वर पाठ किया , जिससे दर्शक दीर्घा में बैठे छात्र-छात्राएं भावुक हो गए.

कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि आज, 21 वीं सदी के वैश्विक समाज में हिंदी का दबदबा बढ़ता जा रहा है. दुनिया के विभिन्न देशों में बसे प्रवासी साहित्यकार हिंदी को विश्व स्तर पर बढ़ावा दे रहे हैं. कहा कि दुनिया के लगभग 200 से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग स्थापित हैं और हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है.

अब तक 12 बार विश्व हिंदी सम्मेलनों का हुआ आयोजन

कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने बताया कि 2025 विश्व हिंदी सम्मेलन का स्वर्ण जयंती वर्ष है. बताया कि 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुआ था. तब से लेकर आज तक कुल 12 बार विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया गया है. सबसे अधिक भारत और मॉरीशस में तीन-तीन बार विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुए हैं. लंदन और न्यूयॉर्क में भी विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुए. प्रोफेसर शेन्डे ने बताया कि 2015 में भोपाल में आयोजित दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में अब तक सबसे अधिक पचास देशों के 2000 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पीजी कॉलेज की जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष अजय बाबा पांडेय ने कहा कि अपने राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए हमें हिंदी भाषा को अपनाना होगा. हिंदी को जानना- समझना होगा . हिंदी हमारे व्यवहार की भाषा है.
पीएम काॅलेज ऑफ एक्सीलेंस के प्राचार्य डॉ रविशंकर नाग ने कहा कि हिंदी के लेखक अक्षर ब्रह्म के उपासक होते हैं. विद्यार्थियों से हिंदी के सही उपयोग का आग्रह किया. छात्रा रक्षा राहंगडाले और छात्रा योगेश्वरी बरमैया ने स्वरचित कविताओं का भावपूर्ण पाठ किया.
आयोजन में छात्र मेहुल सिंह बिसेन, छात्रा रक्षा राहंगडाले, आरती सनोडिया, गरिमा सेंगर, रानी पगारे, निकिता पंचेश्वर, अंबिका मिश्रा तथा प्रद्युम्न पगारे का विशेष सहयोग रहा.

कार्यक्रम का सफल संचालन स्पोर्ट्स ऑफिसर के सी राउर ने किया. कार्यक्रम में डॉ सविता मसीह ‌और ज्योत्सना नावकर ने भी सारगर्भित विचार रखे. डाॅ राकेश चौरासे रितु गुप्ता, नीलम कश्यप,जनभागीदारी शिक्षक उमाशंकर वर्मा, अमितोष सनोडिया, छाया राय, डॉ दिनेश वर्मा, डाॅ संतलाल डहेरिया सहित कॉलेज स्टाफ और एमए हिंदी तथा स्नातक कक्षाओं के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.

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