सिवनी। मानव अधिकारों के प्रति युवाओं में चेतना जगाने के उद्देश्य से मानव अधिकार दिवस पर पीएम कॉलेज आफ एक्सीलेंस के हिंदी विभाग में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें प्राध्यापकों के वक्तव्य के माध्यम से विद्यार्थियों ने मानवाधिकारों के महत्व को जाना और समझा।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ सविता मसीह ने बताया कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद मानवाधिकारों की मांग उठी. 1948 से पूरे विश्व में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा लागू हुई. बताया कि युसूफजई और नेल्सन मंडेला को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर भी हमें मानव अधिकारों के लिए जागरूक होना होगा। मानव अधिकार और साहित्य विषय पर अपने वक्तव्य में प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने बताया कि मनुष्य के अधिकारों के लिए साहित्य हमेशा संघर्ष करता है. मनुष्य का कल्याण और मानवाधिकार की स्थापना साहित्य का लक्ष्य है. प्रो. शेन्डे ने बताया कि भारतीय महिलाओं, वंचित वर्गों और आदिवासियों के मानवाधिकारों के लिए आज हिंदी साहित्य में स्त्री, दलित और आदिवासी विमर्श चल रहें हैं. कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा करना हमारा पहला दायित्व है।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डाॅ. रविशंकर नाग ने कहा कि मानवाधिकार वैश्विक अवधारणा है. मानव अधिकारों के साथ मानवीय कर्तव्य का पालन भी जरूरी है. बताया कि महाभारत की कथा अधिकारों की है, जबकि रामायण कर्तव्यों की कहानी है।
कार्यक्रम में एम ए की छात्रा रक्षा राहंगडाले, गरिमा सेंगर, मेहुल सिंह बिसेन, तोपराम सनोडिया और योगेश्वरी बरमैया का विशेष सहयोग रहा।
कार्यक्रम में जनभागीदारी शिक्षक अमितोष, छाया राय, सुनीता नागले सहित कॉलेज स्टाफ , यूजी तथा एम ए हिंदी के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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