सिवनी। गुरु की महिमा अपरंपार है। एक शिक्षक समाज देश को बहुत कुछ देता है। लेकिन अपने मूल कर्तव्यों जो शिक्षक विमुख हो जाता है वह समाज विरोधी होता है। वहीं कुछ शिक्षक पैसों को अपने दांतों से पकड़ कर रखते हैं तो कुछ अपने वेतन, पेंशन की कुछ राशि निस्वार्थ भाव से सरकारी स्कूल में पढ़ रहे गांव के बच्चों को कॉपी पुस्तक आदि सामान का वितरण कर उन्हें स्कूल के प्रति नित्य प्रतिदिन आने का एक लगाव के रूप में जोड़ते हैं।
जीवन भर बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक हरिप्रसाद सनोडिया जीवन की दूसरी पारी में भी शिक्षादान के-लिए सक्रिय हैं। वे सेवानिवृत होने के बाद बीते 13 वर्षों से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का भविष्य संवारने के लिए अपनी पेंशन राशि का लगभग एक चौथाई हिस्सा सरकारी प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर रहे हैं। 75 साल की उम्र पार करने के बाद भी वह हर माह तय किए गए छह प्राथमिक स्कूलों में पहुंचकर करीब चार सौ नन्हे बच्चों को शिक्षण सामग्री, पेन, पेंसिल और जरूरी किताबों के साथ चाकलेट आदि का वितरण करते हैं। बच्चों को भी ऐसी लगन है किं, वे शिक्षक को देखकर खिल उठते हैं।
ऐसे मिली प्रेरणा – सेवानिवृत शिक्षक हरिप्रसाद सनोडिया ने बताया कि जब वह स्कूल में पढ़ाते थे तब कई बच्चों के पास पेन, पेंसिल और जरूरी किताबें नहीं रहती थी। जब वह बच्चों को होमवर्क देते थे तो कई बच्चे इसे पूरा नहीं कर पाते थे। ऐसे में वह कई बच्चों को अध्ययन की सामग्री दिया करते थे। वर्ष 2011 में सेवानिवृत होने के बाद उन्हें खालीपन महसूस हुआ। इस पर उन्होंने निर्णय लिया कि वह हर माह अपनी पेंसन की करीब एक चौथाई राशि गांवों के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर खर्च करेंगे। तब से लेकर आज त्तक वह नियम से हर माह स्कूलों में जाकर बच्चों को सामग्री का वितरण कर रहे हैं। उनके परिवार का भी इस काम में सहयोग मिल रहा है।
स्कूल पहुंचते ही आसपास लग जाती है बच्चों की भीड़ – हर माह ‘सेवानिवृत शिक्षक जब छह स्कूलों पहुंचते है’ तो उन्हें देखते ही बच्चों के चेहरों में अलग ही रौनक आ जाती है और वे उनके आसपास खड़े हो जाते हैं। बच्चों की मुस्कान देखकर सेवानिवृत शिक्षक भी प्रफुल्लित हो जाते है। मानेगांव निवासी सेवानिवृत शिक्षक हरिप्रसाद सनोडिया ने बताया कि वह हर माह आमाझिरिया प्राथमिक स्कूल, बिठली प्राथमिक व मिडिल स्कूल, राघादेही प्राथमिक स्कूल, मानेगांव प्राथमिक स्कूल और कोहका प्राथमिक स्कूल में जाकर अपनी पेंशन की छह से आठ हजार रुपये की राशि से शिक्षण सामग्री खरीदकर बच्चों को वितरित करते हैं।
उनके इस प्रयास के कारण बच्चों में स्कूल आने और पढ़ने की लालसा बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि इन छह स्कूलों में सामग्री का वितरण करने के बाद जो सामग्री बच जाती है उसे अन्य स्कूलों में जाकर वितरित करते हैं।
राघादेही प्राथमिक स्कूल की प्रधान पाठिका भानू बघेल ने बताया है कि जब से वह स्कूल में पढ़ाने आ रही हैं तब से हर माह सेवानिवृत शिक्षक हरिप्रसाद सनोडिया हर माह स्कूल में आकर बच्चों को कोई ना कोई शिक्षण सामग्री दे रहे हैं।