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15 Oct 2025, Wed

प्रेमचंद युगदृष्टा- युगसृष्टा साहित्यकार- रमेश श्रीवास्तव

प्रेमचंद जयंती पर काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

सिवनी। हिन्दी और विश्व साहित्य के महान रचनाकार प्रेमचंद की 144 वीं जयंती पर नगर के साहित्यकारों और रचनाकारों ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण किया, उनके योगदान पर अपने विचार साझा किये और काव्य गोष्ठी के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर के वरिष्ठ कवि-रचनाकार रमेश श्रीवास्तव ‘चातक’ ने कहा कि प्रेमचंद युग दृष्टा और युगसृष्टा साहित्यकार थे. उन्होंने अपनी कलम से महान साहित्य रचा है. उनका साहित्य हमेशा प्रासंगिक रहेगा. कहा कि प्रेमचंद की पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं.

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि जो कार्य राजनीति में महात्मा गांधी ने किया, वही कार्य साहित्य में प्रेमचंद जी ने किया. कहा कि प्रेमचंद जैसा सरल होना सबसे कठिन है. प्रेमचंद की सरलता ही युगों- युगों तक उनकी प्रासंगिकता का कारण बनी रहेगी.

गर के वरिष्ठ कवि एडवोकेट अखिलेश यादव ने कहा कि प्रेमचंद की आज बेहद जरूरत है यदि आज प्रेमचंद होते तो संविधान की रक्षा करने में सबसे आगे होते.
पीएम कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस के शिक्षक अमितोष ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारतीय समाज का एल्बम है. हमारी सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का हल निकालने में प्रेमचंद का साहित्य आज भी हमारा सहायक है. कार्यक्रम में इंजीनियर यश डहेरिया और हेमलता डेहरिया ने भी अपने विचार रखे.

काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री अंबिका शर्मा ने मां शारदा की वंदना के सस्वर पाठ से की। प्रेमचंद ने भगवान शंकर की तरह समाज की समस्याओं के विष को पिया और अपना साहित्य रूपी अमृत समाज को प्रदान किया । इस विचार को केंद्र में कवयित्री अंबिका शर्मा ने भोलेनाथ पर आधारित अपनी भक्तिपरक कविता का पाठ किया।

वरिष्ठ रचनाकार और जाने-माने व्यंग्यकार डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी ने अपनी व्यंग्य कविता के माध्यम से प्रेमचंद को याद किया. वर्तमान व्यवस्था पर अपने शब्दों से चोट करते हुए कहा – ‘शब्दों की है भूल भुलैया, भावों का है मंथन। गीत तराने गाने निकल, करा रहें हैं नर्तन….. ‘
नगर के वरिष्ठ कवि एडवोकेट अखिलेश यादव ने संविधान की चिंतनीय स्थिति पर अपनी कविता सुनाई। कहा – ‘ लोकतंत्र मजाक और संविधान किताब रह जाता है, सब कुछ जानकर भी मेरा देश, खून का घूंट पीकर रह जाता है…. ‘

प्रेमचंद को याद करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र शेन्डे ने लाइब्रेरी और ताला जैसे विषयों पर भावनात्मक कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम में महर्षि विद्यालय के प्राचार्य अशोक डेहरिया ने प्रेमचंद के जीवन दर्शन को समझाती हुई भावपूर्ण कविता का पाठ किया।
नवोदित रचनाकार के रूप में फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. निकिता उसरेठे ने प्रेरणा जगाने वाली स्वरचित कविताओं का प्रभावपूर्ण पाठ किया। कहा – ‘ हम मोहब्बत है़, हमें मोहब्बत दीजिए। इन परिंदों पर भरोसा कीजिये, इन्हें आसमाॅं छूने की हिम्मत दीजिये…. ‘

कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ कवि रमेश श्रीवास्तव चातक ने देश में अशांति फैलाने वाले अवांछित लोगों को लक्ष्य कर अपनी कविता के माध्यम से कहा- ‘ सब पाकर खुश नहीं, मांगते आजादी, इन दोगलों को क्या वफादार कहेंगे, एक बार नहीं बार-बार कहेंगे, हम गद्दारों को गद्दार कहेंगे…. ‘
कार्यक्रम में छात्रा अदित्रि प्रियदर्शी ने शिव तांडव का सस्वर पाठ कर सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों और श्रोताओं के प्रति एडवोकेट मंगल शेन्डे ने आत्मीय आभार जताया।

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