सिवनी। हिंदी विभाग के वेबिनार में बुधवार को देश भर के साहित्यप्रेमी और शोधार्थी जुटे। जहाँ सभी ने अपने विचार रखे।
लेखक संवेदना के ऊहापोह से गुजरते हुए रचना करता है और जिन रचनाओं में जीवन धड़कता है, वही सच्चा साहित्य होता है। सच्चा साहित्य समाज के लिये ही कार्य करता है। हिंदी के मशहूर कथाकार कैलाश बनवासी ने मुख्य वक्ता के रूप में यह बात कही। मौका था पीजी काॅलेज के हिंदी विभाग और आईक्यूएसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेब सेमिनार का, जिसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित देश भर के साहित्य प्रेमियों और शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।
वेबिनार में विशेष आमंत्रित वक्ता के रूप में जबलपुर के मानकुँवर बाई काॅलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डाॅ नीना उपाध्याय ने कहा कि साहित्य हमारे जीवन मूल्यों का ज्ञान कराता है। साहित्य में मानव मूल्यों के प्रति गहन चेतना होनी चाहिए। डाॅ उपाध्याय ने बताया कि कोरोनाकाल में साहित्य की भूमिका बढ़ी है। उन्होंने समरसता का साहित्य रचे जाने की अपील की।
वेबिनार में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ योगेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य के नाम पर आज, किताबों का व्यावसायिक प्रबंधन किया जा रहा है, जिससे साहित्य पीछे छूट रहा है।बेस्टसेलर किताबें साहित्य पर भारी पड़ रहीं हैं। लेखक तो बड़े हो रहें हैं लेकिन साहित्य छोटा होता जा रहा है। डाॅ योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि साहित्य को संवेदना और सृजन के धरातल पर आना चाहिए।
वेबिनार के संयोजक प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साहित्य के सामाजिक सरोकार विषय पर आयोजित इस वेबिनार में देश भर से लगभग साढ़े तीन सौ शोधार्थियों ने पंजीयन कराया। बताया कि हमारे समय के महत्वपूर्ण कथाकार कैलाश बनवासी की उपस्थिति इस वेबिनार की ख़ास बात रही। हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ रविशंकर नाग और आयोजन सचिव डाॅ सविता मसीह ने सभी आमंत्रित विद्वतजनों का स्वागत किया और वेबिनार का शुभारंभ किया। प्राचार्य डाॅ सतीश कुमार चिले ने अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्य के दायित्व पर प्रकाश डाला।
वेबिनार का संचालन प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने किया। तकनीकी परामर्श और संचालन में डाॅ आशुतोष सिंह गौर, राजेश चौरसिया और शिवकुमार यादव का विशेष सहयोग रहा।
वेबिनार में मध्यप्रदेश शासन के प्रधान वैज्ञानिक विकास शेन्डे, डाॅ मंजू सराफ, डाॅ अरविंद चौरसिया, डाॅ डीपी नामदेव, प्रोफेसर सुरेश बाटड़, डाॅ एमसी सनोडिया, केसी बापू राउर समेत विद्यार्थियों, देश के विभिन्न क्षेत्रों के शोधार्थियों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रही। संयोजक प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने उपस्थित सुधिजनों के प्रति आभार जताया।
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