सिवनी। सम्मान किसी को दिया जाता नहीं है, सम्मान लेना आपको आना चाहिए। अगर आपका आचरण अच्छा है तो आपके चरण पूजे जाएंगे। एक व्यक्ति अगर गलत निकल जाए तो पूरे समाज पर उंगली उठ जाती है। इसलिए आचरण अच्छा रखना चाहिए। उक्ताशय की बात नगर के ईश्वर नगर इन्द्रहंस कॉलोनी में जारी श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को कथावाचक पं. हितेंद्र शास्त्री बनारस ने श्रद्धालुजनों से कही।
पूज्य पं. हितेंद्र शास्त्री जी ने बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया।
उन्होंने आगे कहा कि जीवन में अच्छे रास्ते पर जाना है तो संकल्प लेना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को अपने माता-पिता की बातों को मानना चाहिए और सबसे बड़ा भगवान माता-पिता ही होता है।
प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।
हमारे जीवन में जितना क्रोध, लोभ, मोह, माया होगा उसी के चलते मृत्यु लोक में बार-बार जन्म लेना होगा। इसलिए जीवन में संतोष धर्म को धारण करते हुए हमेशा धर्म के कार्यों में लगे रहना चाहिए।
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