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सुनीति से चलने का बोध कराती है भागवत कथा : पं. हितेंद्र शास्त्री

सिवनी। नगर के ईश्वर नगर इन्द्रहन्स कॉलोनी में जारी श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को कथा वाचक पं. हितेंद्र शास्त्री ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है। उन्होंने कहा कि भागवत बताता है कि कर्म ऐसा करो जो निस्काम हो वहीं सच्ची भक्ति है।

मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निस्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं।

जो शास्त्र की नीति के अनुसार चलती है सुनीति है और जो मन के अनुसार चलती है वह सुरुचि है। जो सुनीति के अनुसार चलता हर उनको परमानंद मिलता है। लेकिन जो स्वयं की रुचि के अनुसार चलता है उन्हें परमानंद नहीं मिलता है थोड़ी देर के लिए सुख मिलता है। उसके बाद दुख ही दुःख मिलता है। श्री सुखदेव जी महाराज कहते हैं कि जो अपनी स्वयं की रुचि के अनुसार चलते हैं उन्हें थोड़ी देर तो सुख मिलता है लेकिन बाद में दुःख प्राप्त होता है।

कथा आयोजक बलराम तिवारी ने बताया कि कथा 9 फरवरी तक होगी। रविवार को धुर्वे व पृथु प्रसंग, भरत चरित्र, प्रहाद कथा का वाचन किया गया। सोमवार को समुद्र मंथन, वामन अवतार, रामकथा, कृष्णजन्मोत्सव, मंगलवार को बाल लीला, गोवर्धन धारण, छप्पन भोग, महाआरती, बुधवार को रूकमणी विवाह आदि प्रसंग, गुरूवार को सुदामा चरित्र, 24 गुरूवों की कथा, परीक्षित मोक्ष कथा, शुक्रवार को गीता पाठ, हवन, महाप्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा।

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