सिवनी। नगर के ईश्वर नगर इन्द्रहन्स कॉलोनी में शुक्रवार से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन शुरू हुआ। कथा के प्रथम दिन शोभायात्रा निकाली गई। भागवत कथा के पहले दिन कथा वाचक पं. हितेंद्र शास्त्री (बनारस) ने कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है।
उन्होंने आगे बताया कि धुंधकारी दुष्ट व चाण्डाल प्रवृति का था तो गोकर्ण सरल स्वभाव का था। धुंधकारी सारे गलत काम करता एक दिन तो उसने अपने पिता आत्म देव की ही पिटाई कर दी। आत्म देव बहुत दुखी हुआ और अपने दुखी पिता को देख गोकर्ण उनके पास आया और उनको वैराग्य जीवन जीने के लिए कहा। और कहा की संसार में हम बस भागवत दृष्टि रखकर ही सुखी हो सकते है। गोकर्ण की बात मानकर आत्म देव गंगा के किनारे आकर भागवत के दशम स्कंध का पाठ करने लगे थे और उसी जीवन में उन्हें भगवान श्री कृष्ण की प्राप्ति हो गयी थी।
समय बीतता गया और एक दिन धुंधली भी धुंधकारी के अत्याचारों को देख दुखी होकर एक कुएँ में कूद कर आत्महत्या कर ली। अब धुंधकारी एकदम ही अत्याचारी और दुष्कर्म वाला इंसान बन गया था। वह वैश्यों के मांगो के लिए चोरी करता और एक दिन तो उसने राजा के यहाँ ही डाका दाल दिया सभी ने सोची अगर ये जिन्दा रहा तो एक दिन हमको भी मरवा देगा। यह सोच कर उन लोगों ने धुंधकारी को बांध कर उसको जल्दी हुई आग में उसका मुख डालकर तड़पा कर मार डाला। बुरे प्रवृति के होने की वजह से धुंधकारी प्रेत बन गया और वह अपने भाई गोकर्ण को डराने लगा।

हालाँकि गोकर्ण ने अपने भाई का श्राद्ध गया जाकर किया था लेकिन धुंधकारी को फिर भी मुक्ति नहीं मिली। वह गोकर्ण को डराने के कोशिश करता लेकिन गोकर्ण गायत्री मंत्र का जाप करता तो धुंधकारी उसके पास नहीं जा सकता था। गोकर्ण ने जब कहा की मैंने तो तुम्हारा पिंडदान कर दिया हूँ फिर भी तुम प्रेत बन घूम रहे हो तो धुंधकारी बोलता है की मैंने इतना पाप किया है पिंडदान से मेरा मुक्ति नहीं होगा।
उसके बाद गोकर्ण ने सभी विद्वानों से राय लिया और सूर्य देवता को नमन कर इसका उपाय पूछा तो सूर्य देव ने कहा की इसको मोक्ष की प्राप्ति भागवत कथा सुनने से ही होगी।
गोकर्ण ने भागवत कथा का आयोजन किया और धुंधकारी एक बांस पर जाकर छिप कर बैठ गया वहां पर सात गांठ था वो वहीं जाकर बैठा था। बहुत से लोग सात गांठ का बांस लगते है भागवत कथा में की ऐसा मानता है की अगर परिवार का कोई सदस्य भूत हो गया है तो ऐसे अवश्य लगानी चाहिए। पहले दिन के कथा में पहला गांठ का भेदन हुआ ऐसे ही दूसरे दिन दूसरे में ऐसे करके सातों गांठों का भेदन हो गया। धुंधकारी दिव्य रूप धारण कर प्रकट हो गए और उनको लेने भगवान स्वयं आये। भागवत कथा बहुत लोगों ने सुनी होगी मगर धुंधकारी को स्वयं भगवान लेने क्यों आये बहुत कम लोग जानते होंगे। इसका वजह यह है की धुंधकारी ने पूरी भागवत कथा श्रद्धा तथा प्रेम भाव से सुना।
कथा आयोजक बलराम तिवारी ने बताया कि कथा 9 फरवरी तक होगी। शनिवार को सृष्ठी वर्णन, मनुकर्दम संवाद, सती कपिल उपाख्यान, रविवार को धुर्वे व पृथु प्रसंग, भरत चरित्र, प्रहाद कथा, सोमवार को समुद्र मंथन, वामन अवतार, रामकथा, कृष्णजन्मोत्सव, मंगलवार को बाल लीला, गोवर्धन धारण, छप्पन भोग, महाआरती, बुधवार को रूकमणी विवाह आदि प्रसंग, गुरूवार को सुदामा चरित्र, 24 गुरूवों की कथा, परीक्षित मोक्ष कथा, शुक्रवार को गीता पाठ, हवन, महाप्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा।

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