सिवनी। मप्र शासन के सभी विभागों में कार्यरत लाखों आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी अब तक के सबसे बड़े अन्याय के शिकार हैं, जिन्हें न तो न्यूनतम वेतन मिलता है, न ही पीएफ जमा होता, कभी भी नौकरी से निकालने का संकट हमेशा बना रहता है। आउटसोर्स एजेंसियों की मनमानी, पीएफ जमा न करना, शासन के निर्देशों की अवहेलना आम बात है। लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों की ओर विभाग का ध्यान दिलाए जाने की सजा नौकरी से निकाल दिए जाने के रूप में मिलती है, एमपीईबी के 1100 आउटसोर्स कर्मचारियों को आंदोलन करने पर निकाल गया, उन्हें वापस नहीं लिया गया।
सरकार सबकी होती है, सबके लिए समान रूप से काम करने की शपथ लेकर काम शुरू करती है। आउटसोर्स कर्मचारी भी संविदा कर्मचारी की श्रेणी में आते हैं। संविदा सम्मेलन में आपने इनका जिक्र तक नहीं किया। रोजगार सहायकों की तरह दूसरे अस्थाई कर्मचारी भी कार्यरत हैं, जिनका वेतन भी बढाया जाना चाहिए था। अतः महोदयजी आपसे आग्रह है कि:
1- आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारियों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन बुलाकर इनकी मांगों का निराकरण किया जाए।
2- नौकरियों में आउटसोर्स कल्चर समाप्त कर कार्यरत कर्मियों का विभाग में संविलियन किया जाए।
3- जन स्वास्थ्य रक्षक, गौसेवक, संविदा प्रेरक, सर्वेक्षण सहायकों एवं निकाले गए कर्मियों की सेवा बहाली की जाए।
4- आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढाकर 21,000 रूपए किया जाए, जिससे बढ़ती महंगाई में राहत मिल सके।
हमें उम्मीद है मुख्यमंत्री महोदय संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रतिनिधि मंडल को मिलने एवं सम्मेलन बुलाने का समय आवंटित कर सहयोग करेंगे।
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