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भगवान के शरणागत होकर प्रयत्न करने से श्री लक्ष्मी और अमृत की प्राप्ति होती है : स्वामी श्री प्रज्ञानानंद

सिवनी। धर्म प्रदर्शन नहीं, दर्शन के लिए होता है। सात्विक यज्ञ जगत के कल्याण के लिए होता है। पुत्र प्राप्ति वासना का नहीं,उपासना का विषय है। कर्म का स्वरूप अलग अलग होने से, कर्मफल भी अलग-अलग मिलता है!  शरीर के तीनों अहंकार काम क्रोध लोभ भगवती से जोड़ने पर सदाचरण बन जाते हैं!  उक्त आशय के अमृत उपदेश, पूज्य आचार्य महामंडलेश्वर दण्डी स्वामी श्री प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज के मुखारविंद से, आज श्री शक्ति महायज्ञ के आठवें दिन यज्ञ स्थल मठ मंदिर सिवनी की धर्म सभा में नि:सृत हुए।

स्वामी श्री ने प्रवचन माला को विस्तार देते हुए कहा, कि  आयोजित श्री शक्ति महायज्ञ दिव्यता से परिपूर्ण है।सात्विक यज्ञ जगत के कल्याण के लिए होता है किंतु राजसी यज्ञ में बाहुबल और धन, दंभ का ही प्रदर्शन होता है। अहंकारी रावण का यज्ञ विखंडित हुआ और उसके मृत्यु का कारण बना। दूसरी ओर धर्मज्ञ महाराज दशरथ के सात्विक यज्ञ फल के रूप में *विग्रहवान धर्म रूप राम* दशरथ की गोद मे बैठ गये।

 स्वामी श्री ने कहा कि पुत्र प्राप्ति ,वासना का विषय नहीं उपासना का विषय है! पहला पुत्र धर्मपुत्र कहलाता है , जिससे कुल की धर्म बेल हमेशा हरी रहती है।

स्वामी श्री ने समुद्र मंथन प्रसंग की आध्यात्मिक विवेचना करते हुए कहा कि समुद्र मंथन में, देवता और दैत्य दोनों ने परिश्रम किया था किंतु दोनों के प्रयत्न का स्वरूप अलग अलग था। दैत्यों ने बाहुबल के दम दंभ से मंथन किया था ,इसलिए उन्हें कष्ट, कपट की प्राप्ति हुई। किंतु देवताओं का प्रयत्न भगवान की शरणागति में रहकर किया गया परिश्रम था अतः उन्हें अमृत और लक्ष्मी की प्राप्ति हुई।

 पूज्य स्वामी जी ने कहा कि श्री माता राजराजेश्वरी के श्री यंत्र की उपासना से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है! श्री भगवती, ममता, करुणा और प्रेम की देवी हैं।

श्री माता की शक्ति और सामर्थ्य से ही 7 दिनों के अल्प समय में  ही *श्री शक्ति महायज्ञ* का दिव्या आयोजन सफल हुआ है।

महायज्ञ के सूत्रधार, यजमान गणों एवं इस यज्ञ को सफल बनाने में सहभागी बने प्रत्येक व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, स्वामी श्री ने विश्वास व्यक्त किया कि धर्म नगरी सिवनी में कल्याणकारी यज्ञ का बीजारोपण हो चुका है आने वाले दिनों में यह वट वृक्ष के रूप में विकसित होकर जगत के कल्याण का हेतु बनेगा।

स्वामी जी ने शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आप सब पर श्री भगवती और पूज्य गुरुदेव की कृपा हमेशा बरसती रहे।

स्वामी श्री के प्रवचन के पूर्व ,भूमिका सृजन करते हुए विद्वान *आचार्य पंडित सनत कुमार उपाध्याय* जी ने संसार में तीन प्रकार के यज्ञ- सात्विक, राजसी और तामसी यज्ञ, का वर्णन करते हुए, उनके स्वरूप तथा शुभ अशुभ फल की विस्तृत विवेचना किया। आपने जानकारी दिया कि *30 मार्च को श्री शक्ति महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी* जो श्रद्धालु अपरिहार्य कारणों से यज्ञ में नहीं पहुंच पाए थे उन्हें पूर्णाहुति में शामिल होकर, यज्ञ का पुण्य लभार्जन अवश्य करना चाहिए।

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