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बरघाट काॅलेज : मानवता का प्रतीक है आदिवासी साहित्य

बरघाट काॅलेज में हुआ राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

सिवनी। जिले के आदिवासी बहुल बरघाट के शासकीय काॅलेज में हिंदी विभाग के प्रोफेसर बीएल इनवाती के संयोजकत्व में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के विद्वतजन, शोधार्थी और स्थानीय रचनाकारों सहित महाविद्यालय के छात्र छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

वेबिनार की मुख्य संरक्षक प्रो.लीला भलावी अतिरिक्त संचालक, मुख्य संरक्षक डॉ संध्या श्रीवास्तव, प्राचार्य, अग्रणी महाविद्यालय, सिवनी, संरक्षक प्रो सीबी झारिया प्राचार्य, बरघाट काॅलेज, मार्गदर्शक डॉ कैरोलीन सैनी, सेंट अलाॅयसियस काॅलेज, जबलपुर तथा काॅलेज के लाइब्रेरियन डॉ प्रदीप त्रिवेदी एवं प्रो.एस.के. मरावी मार्गदर्शक के रूप में तथा बीज वक्तव्य देने वाले मुख्य वक्ता डॉ लक्ष्मीकांत चंदेला सदस्य, अध्ययन मंडल उच्च शिक्षा, प्रमुख वक्ता डॉ ऋषि कुमार एसोसिएट प्रोफेसर रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता एवं अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के डॉ सुनील कुमार सुमन युवा आदिवासी लेखक, आलोचक एवं असिस्टेंट प्रोफेसर विशिष्ट वक्ता तथा विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. सत्येन्द्र कुमार शेन्डे सहायक प्राध्यापक, डॉ राजेश कुमार ठाकुर सहायक प्राध्यापक एवं डॉ.रक्षा निकोसे सहायक प्राध्यापक एवं स्थानीय साहित्यकार के. एल. उइके एलआईसी अधिकारी सिवनी तथा टीएस तेकाम सेवा निवृत्त शिक्षक, काॅलेज के सभी सम्मानीय प्राध्यापकगण, सामाजिक चिंतक, मीडिया कर्मी तथा स्थानीयजन भी आभासी मंच व प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित रहे ।

वेबिनार का कुशल संचालन डॉ प्रदीप त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी देते हुए वेबीनार के संबंध में संयोजक प्रो.बीएल इनवाती ने प्रकाश डाला। प्राचार्य डॉ सी बी झारियार ने सभी आमंत्रित अतिथियों वक्ताओं तथा आभासीय मंच में जुड़ने वाले सभी के लिए
स्वागत उद्बोधन दिया। मार्गदर्शक डॉ कैरोलिन सैनी ने आशीर्वचन देते हुए वेबीनार के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए एवं गोंडी बोली को व्यक्तिगत जीवन में अपनाने तथा आदिवासी बोलियों को सहेजने पर बल दिया। बीज वक्तव्य देते हुए मुख्य वक्ता डॉ लक्ष्मीकांत चंदेला ने आदिवासी विमर्श तथा मातृभाषा हिंदी का परिचय दिया डाॅ. चंदेला ने कहा कि आदिवासी दर्शन पर लिखा गया साहित्य आदिवासी साहित्य है। आदिवासी चिंतन केंद्र में है आदिवासियों द्वारा या गैर आदिवासी द्वारा भी रचा गया साहित्य है। आदिवासी का प्रत्येक शब्द ही साहित्य है और इस साहित्य को समृद्ध कर रही है हिंदी भाषा। प्रमुख वक्ता डॉ ऋषि कुमार ने बताया कि यह विषय बेहद व्यापक है।

हिंदी 18 उपभाषाओं  से बनी है तो कहीं न कहीं सभी उपभाषाओं, क्षेत्रीय भाषाओं में आदिवासी साहित्य रचा जा रहा है। विशिष्ट वक्ता डॉ सुनील कुमार सुमन ने बताया कि गैर आदिवासी पर लिखा गया साहित्य शोध है और आदिवासियों द्वारा लिखा साहित्य यथार्थ दर्शन है। आदिवासी साहित्य अनुवाद के माध्यम से हिंदी में आ रहा है। कहा कि आदिवासी समाज मातृप्रधान रहा है। बताया कि असभ्य गालियों का आदिवासी समाज में कोई स्थान नहीं है। विषय विशेषज्ञ और लोकप्रिय कवि डॉ. राजेश कुमार ठाकुर के वक्तव्य का यह कमाल रहा कि उपस्थित श्रोताओं ने उनके बारे में कहा कि हिंदी का कवि आदिवासी लोक कथाओं का प्रवाचक बन गया है। डाॅ ठाकुर ने कहा कि आदिवासी इस धरती का भारत का प्रथम नागरिक है। आपने आदिवासी संस्कृति, साहित्य को संरक्षित करने पर बल दिया। विषय विशेषज्ञ डॉ.रक्षा निकोसे ने बताया कि आदिवासी पर्यावरण के प्रति सचेत है, जंगल जरूरी है, सह-अस्तित्व की भावना को उद्घाटित करने वाली कविता का भी वाचन किया।

स्थानीय साहित्यकार कन्हैयालाल उइके ने कहा कि आदिवासी भाषाओं को बोली न कहा जाए, वे तो भाषा हैं। ‘परधान’ जाति का जिक्र किया और कहा कि यह जाति लोक की स्मृतिकार है और पुरखा साहित्य की पुरोधा रही है। उन्होंने गोंडी भाषा में स्वरचित कविता भी पढ़ी। वरिष्ठ साहित्यकार टेकसिंह तेकाम ने भी कार्यक्रम में अपना वक्तव्य दिया। उल्लेखनीय है कि तेकाम का रचित साहित्य इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एमए कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। तेकाम ने गोंडी भाषा को सहेजने का आह्वान किया।

वेबीनार कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रो.सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने सधी और सुलझी शैली में प्रस्तुत किया। अपने विचार रखते हुए कहा कि आदिवासी विमर्श को महान कथाकार प्रेमचंद की कहानियों में देखा जा सकता है। उन्होंने ‘सद् गति’ कहानी के चिखुरी गोंड नामक पात्र को आदिवासी साहित्य का पहला क्रांतिकारी आदिवासी पात्र बताया। हिंदी के वरिष्ठ रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल की कविता के माध्यम से बताया कि गैर आदिवासी साहित्यकार भी आदिवासी विमर्श के संवेदनशील साहित्य की रचना कर रहे हैं। नूरजहां पूजा राउर ने उपस्थित सुधिजन के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में सहभागी विद्यार्थियों को मंचासीन अतिथियों के हाथों से प्रमाण पत्र वितरित किए गए।संयोजक प्रोफेसर बीएल इनवाती ने भी सभी के प्रति धन्यवाद जताया।

 — — — — — — — — — — — — — — — — — — — — —  ताजासमाचार ग्रुप से जुड़ने लिंक मांग सकते हैं। वाट्सएफ नम्बर 94 2462 9494 से । या न्यूज के नीचे जाए और दिए गए वाट्सएफ जवाइन निर्देश बॉक्स में दो बार क्लिक कर ग्रुप में ज्वाइन हो सकते हैं। संतोष दुबे, सिवनी

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