भोपाल से। राज्य सरकार नगरीय निकायों में अवैध कालोनियों की सूची बना रही है। इन अवैध कालोनियों में भूखण्ड / भवनों की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी तथा रजिस्ट्री कराने के लिये नगरीय निकाय से एनओसी लेनी होगी। यह नया उपबंध नये संशोधित नियमों में किया गया है जो आगामी 4 अप्रैल के बाद पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जायेंगे।
नये नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि उन व्यक्तियों की सम्पत्तियों को चिन्हांकित किया जायेगा। जिन्होंने अनधिकृत कालोनी विकसित की है और सक्षम प्राधिकारी इन सम्पत्तियों को कलेक्टर गाईड लाईन की दरों से कुर्क कर सकेगा। कुर्की से प्राप्त राशि से अवैध कालोनी में विकास कार्य किये जा सकेंगे।
इसी प्रकार, नये नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि अवैध कालोनी में नागरिक अवसंरचनायें उपलब्ध कराने के लिये सक्षम प्राधिकारी अंतिम ले-आउट के आधार पर एक योजना तैयार करेगा जिसमें अवसंरचना की अनुमानित लागत, विकास कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा, आवंटित नहीं किये गये शेष भू-खण्डों तथा भवनों के विक्रय के लिये मानदण्ड, कालोनी की भूमि का कुल क्षेत्र एवं भू-खण्डों/भवनों की संख्या और अविक्रित भूमि और भू-खण्डों/भवनों की संख्या एवं आकार प्रदर्शित की जायेगी तथा इसे सार्वजनिक किया जायेगा। विकास योजना को अंतिम रुप दिये जाने के पश्चात भू-खण्ड स्वामी, भवन अनुज्ञा, जल एवं बिजली कनेक्शन लेने के लिये पात्र होगा। इसके अलावा, नये नियमों में भी यह भी प्रावधान किया गया है कि ऐसी कालोनियों में रहवासी संघ गठित किये जायेंगे तथा अनधिकृत कालोनियों में विकास शुल्क की कुल राशि में से बीस प्रतिशत निम्र आय वर्ग के रहवासियों से और 50 प्रतिशत राशि अन्य रहवासियों से व्यक्तिगत रुप से प्रभारित की जायेगी। यह विकास शल्क 24 माह की किश्तों में भी दिया जा सकेगा।
यदि किसी रहवासी ने पूर्व में विकास शुल्क दिया हुआ है तो इसके दस्तावेजी प्रमाण-पत्र लेकर उसे समायोजित किया जायेगा। अनधिकृत कालोनियों के विकास कार्य में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं तथा जनभागीदारी एवं सांसद व विधायक निधि का भी उपयोग हो सकेगा।
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