सिवनी। जहां भगवान रहते हैं वहां अविद्या नहीं आती है। पूतना के शरीर को जलाने पर दुष्ट रूपी पूतना के शरीर से सुगंध निकली अविद्या रूपी पूतना के जलने से अविद्या ही विद्या बन गई। ब्रम्ह की कोई सीमा नहीं है। ब्रम्ह सभी काल में है और सभी काल से परे हैं। परमात्मा किसी प्रकार से सीमित नहीं है। ब्रम्ह में सजातीय भेद नहीं है। इस आशय की बात गांव हथनापुर में जारी श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में कथावाचक शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य गीता मनीषी ब्रम्हचारी निर्विकल्प स्वरूप ने श्रद्धालुजनों से कथा के पांचवें दिन कही।
उन्होंने आगे कहा कि परम सत्य ही श्रीकृष्ण भगवान हैं। कृष्ण गोकुल में अपने अर्थ को पूर्ण करने आए थे। ग्वालबालों, गोपियों, यशोदामाता, नंदबाबा सभी को सुख देने के लिए श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सब कुछ कृष्णमय है। भगवान की लीलाएं समझना कठिन है। भगवान की लीला में ब्रम्हाजी, इंद्र मोहित हो गए। एक बार श्रीकृष्ण ग्वालबालों के साथ भोजन कर रहे थे तब एक दूसरे को झूठा खा-खिला रहे थे। ब्रम्हाजी ने देखा कि भगवान झूठा खा रहे हैं ये कैसा परमात्मा है। यह बात जमी नहीं। ब्रम्हा ने ग्वालवालों का अपहरण कर ब्रम्ह गुफा में छिपा दिया। भगवान को जब पता चला कि ब्रम्हा ने ग्वालवालों को उठा लिए हैं तो भगवान ही सभी रूपों में प्रकट हो गए। स्वयं ही ग्वालवाल बन गए, छड़ी बन गए, कंबल, बछड़े बन गए। एक साल तक यह लीला चलती रही। ब्रम्हाजी ने जब आकर देखा तो वे चकित हो गए। जहां उन्होंने छुपाया था वहां भी ग्वालवाल नजर आए। सभी जगह देख चकित हो गए। भगवान की शरण में जाने पर पता चला कि सब कुछ कृष्णमय है।
महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण या कथा स्थल पर आकर प्रसादी ग्रहण करने मात्र से ही मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं।
भगवान से भी बड़ा भगवान का नाम है। भगवान की कथा जहां भी सुनने को मिले सभी को कुछ समय निकालकर कथा श्रवण अवश्य करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति जिसकी भक्ति रहेगी उसे उतना ही सुख मिलेगा। अवसाद दूर हो जाता है।
उन्होंने कहा कि पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकते हैं। श्रीमद्भागवत कथा कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करती है। गांव हथनापुर निवासी गणपत लाल तिवारी, अवनींद्र-शशि तिवारी, तारेंद्र-शिखा तिवारी ने बताया कि कथा श्रवण करने गांव सहित आसपास के गांव व अन्य जिलों से लोग कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।








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