सिवनी। जिन बातों से घर में लड़ाई होती हो, छोटी-छोटी बातों पर कलह उत्पन्न होती है। ऐसी बातों को दोबारा नहीं बोलना चाहिए। इससे घर में हमेशा कलह बनी रहती है। उक्त आशय की बात नगर के टैगोर वार्ड शिव शक्ति मंदिर परिसर में जारी श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक नीलेश शास्त्री ने श्रद्धालुजनों से कहीं।
उन्होंने आगे कहा कि कोई काल तो कोई कर्म तो कोई स्वभाव से दुखी है। अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, कोरोनावायरस, प्राकृतिक आपदा आदि काल द्वारा दिया गया दुख सभी को बराबर मिलता है। इसी प्रकार कर्म का दुख स्वयं को मिलता है। घर में अगर 50 लोग हैं तो दुख सभी 50 लोगो को नहीं होगा। आपने जैसा कर्म किया है उसका फल आपको भी अकेले ही भोगना होगा। इसी प्रकार स्वभाव से जो दुखी है उन्हें कथा श्रवण करना चाहिए। स्वभाव को बदलने का प्रयास करें। अनेक लोगों को अपने गलत स्वभाव का बोध नहीं होता है। इसलिए अपना स्वभाव बदलें। शास्त्र के नियम कानून के साथ चलें, बिखरे नहीं रहे। भगवत कथा सुनकर मस्त रहें। कथा का पंडाल आईना का रूप होता है कथा आत्म निरीक्षण के लिए जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू, नशा आदि व्यसनों से लोगों को बचना चाहिए। गाय के रक्त से तंबाकू उत्पन्न हुई है, ऐसा शास्त्रों में माना गया है। इसीलिए तंबाकू वर्जित है। कुछ लोग शास्त्रों का कहना नहीं मानते हैं लेकिन फिर उन्हें बीमार होने की अवस्था पर डॉक्टर का कहना मानना पड़ता है। जिनके घर में गौमाता है उन्हें गाय की महिमा पता चल जाए तो वे कहेंगे कि मेरे घर में गाय नहीं रहती है बल्कि मैं गौ माता के घर में रहता हूं। क्योंकि गौमाता में 33 कोटी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय ही सर्वोपरि है।



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