चलो जवानों, पथ पर अपने, पग-पग बढ़ते जाना।
गली-गली हर शहर-शहर में, ध्वज अपना फहराना।।
“पेंशन क्रांति लाना” ,,,, “पेंशन क्रांति लाना”।।
- लाख-लाख दो लाख की वेतन पे तेरह सौ पेंशन।
कैसे गुजरेगा ये बुढ़ापा, कैसा होगा जीवन।
तन घायल नहीं पूंजी पास में जाने तब क्या होगा?
घर में “बेटे-बहू” का शासन, जाने कब क्या होगा?
मर-मर के जीने से पहले, हक है अपना पाना।
गली-गली हर शहर-शहर में, ध्वज अपना फहराना।।
“पेंशन क्रांति लाना”,,,,, “पेंशन क्रांति लाना”।। - एक लक्ष्य है एक विषय और एक ही मांग हमारी।
“पेंशन” “वही पुरानी पेंशन”, नीति वही सरकारी।
हुंकार भरो हम एक साथ हैं, एक हमारा नारा।
“हक है पेंशन”, पाना इसको है अधिकार हमारा।
इस संघर्ष का एक पड़ाव है, हक-अधिकार दिलाना।
गली-गली हर शहर-शहर में, ध्वज अपना फहराना।।
“पेंशन क्रांति लाना”,,,,, “पेंशन क्रांति लाना”।। - उठो लाल अब आंखें खोलो, तुम आलस को त्यागो।
कल यह अवसर हो न हो, अवसर के रहते जागो।।
तन-मन धन की शक्ति यारों, कम नहीं होने पाएं।
अंतिम सांस के पहले अपना, लक्ष्य विजय कर जाएं।
संतोष परम् सुख जीवन का, औरों के काम है आना।।
गली-गली हर शहर-शहर में, ध्वज अपना फहराना।।
“पेंशन क्रांति लाना”,,,,, “पेंशन क्रांति लाना”।।
संतोष बरमैया#जय
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