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बिरसा मुंडा जयंती पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम का हुआ  आयोजन

बिरसा मुंडा व्यक्ति नहीं विचारधारा हैं- कन्हैया उइके

सिवनी। महान स्वाधीनता सेनानी और आदिवासी समाज के नायक बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने के निर्देश के तहत पीजी काॅलेज में आयोजित कार्यक्रम में सभी प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और अमर शहीद बिरसा मुंडा के योगदान को याद किया।

कार्यक्रम के मुख्य  वक्ता के रूप में भारतीय जीवन बीमा निगम के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कन्हैया उइके ने कहा कि बिरसा मुंडा एक महान व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम के संघर्ष में आदिवासी समाज के योगदान पर प्रकाश डाला। कहा कि बिरसा मुंडा जैसे जननायकों ने देश की अस्मिता और स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उइके ने बताया कि  वर्तमान दौर में, हमें आदिवासी समाज से बहुत कुछ सीखना होगा। बताया कि आदिवासी-संस्कृति प्रकृति-प्रेमी और पर्यावरण की रक्षक है। अपने वक्तव्य  में आदिवासी समाज के जीवन-दर्शन की व्याख्या करते हुए उइके ने कहा कि आज आदिवासी समाज को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयास किये जाने चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ संध्या श्रीवास्तव ने कहा कि देश की आज़ादी सरल रूप में थाली में परोस कर नहीं मिली है। इसके लिए महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जैसे महानायकों ने कड़ा संघर्ष किया। कहा कि देश की स्वतंत्रता प्राप्ति  में सभी वर्गों के लोगों के साथ-साथ   आदिवासी समाज की भी अहम् भूमिका रही। प्राचार्या श्रीवास्तव ने कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने अपने वक्तव्य में कहा कि इतिहास में आदिवासी समाज के नायकों को वह सम्मानजनक स्थान अभी भी नहीं मिल सका है, जिसके वे हकदार हैं। बताया कि जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को बिरसा मुंडा ने भारत माता की स्वतंत्रता की लड़ाई में बदलकर स्वतंत्रता प्राप्ति  के लिए ‘उलगुलान’ यानि क्रांति का शंखनाद किया। बताया कि शहीद-ए- आज़म भगतसिंह और चंद्रशेखर आज़ाद की तरह ही बिरसा मुंडा भारत के महान स्वाधीनता सेनानी हैं।  कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में बिरसा मुंडा हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। प्रो शेन्डे ने कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन आज भी युवाओं के लिए आदर्श है।

कार्यक्रम की शुरुआत में अमर शहीद बिरसा मुंडा के छायाचित्र पर मुख्य वक्ता कन्हैया उइके, प्राचार्य डॉ संध्या श्रीवास्तव, डाॅ अरविंद चौरसिया तथा डाॅ सविता मसीह ने  पुष्प अर्पित किये। कार्यक्रम  में एमए हिन्दी की छात्रा प्रियंका तिवारी और छात्र उमेश ने भी बिरसा मुंडा के योगदान पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में डाॅ अरविंद चौरसिया, डाॅ रविशंकर नाग,  डाॅ सविता मसीह,  प्रोफेसर विपिन मिश्रा,  डाॅ रवीन्द्र दिवाकर, डाॅ रेशमा बेगम, डाॅ शशिकान्त नाग, प्रो सोनी भम्मरकर,   लाइब्रेरियन सीएल अहिरवार, प्रो अनिल बिंझिया, प्रो रचना सक्सेना,  डाॅ दिनेश वर्मा, डाॅ एमएल चौधरी, डाॅ लीडिया कुमरे,  डाॅ पवन वासनिक समेत सभी प्रोफेसर्स,  शिक्षक, काॅलेज  स्टाॅफ के सभी सदस्य  तथा एमए हिन्दी के छात्र- छात्राएँ और काॅलेज के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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