सिवनी। जिले के प्राचीन लक्ष्मीनारायण के ग्राम तिघरा में पूज्य महाराज श्री के दीक्षित सान्निध्य प्राप्त शिष्य ब्रम्ह. स्वामी सुशीलानन्द जी द्वारा भोपाल से परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में दिनाँक 12.09.22को ब्रह्मलीन परमपूज्य 1008 जगद्गुरु शंकराचार्य द्विपीठाधीश्वर(ज्योतिष व द्वारिका शारदा पीठ) स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के अंतिम दर्शन यात्रा व समाधि कार्यक्रम में सम्मिलित होने के पश्चात अपनी जन्मस्थली ग्राम तिघरा में ग्रामीण गुरुभक्तों की उपस्थिति में दिनांक 13.09.22 को ब्रम्हलीन परमपूज्य गुरुदेव को श्रद्धांजलि समर्पित की।
सर्वज्ञात है कि ब्रह्मलीन परमपूज्य महाराज श्री द्वारा ग्राम में स्थापित प्राचीन श्री विग्रहों का लक्ष्मीनारायण नामकरण किया गया था व तिघरा ग्राम को त्रिपुरेश्वर नाम से सम्बोधित किया था, ये उन दिनों की बात है जब पूज्यश्री ने ग्राम में वर्ष1996 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा 04 दिवसीय प्रवास में अपनी अमृत मधुरवाणी से पान कराई थी । नित्य कथा पाठ परायण मातृधाम प्रभारी मुख्यार्चक पूज्य स्व.पं.श्री गौरीशंकर जी शास्त्री तथा प्रवचन ब्रम्हर्षि महामंडलेश्वर अग्नि पीठ द्वारा सम्पन्न हुई थी।
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