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15 Oct 2025, Wed

अफ्रीका में भारत का डंका : कामरेड मैराथन दौड़ बिंदेश सिंह ने 12 घंटे में पूर्ण की 90 किलोमीटर

सिवनी/केवलारी (रमाशंकर महोबिया)। विश्व की सबसे पुरानी कामरेड मैराथन जो कि 90 किलोमीटर 56 मील मील की होती है,इस कामरेड मैराथन दौड़ का आयोजन विगत दिवस 28 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका पीटर मारिटवर्ग से शुरू होकर डरबन सिटी तकआयोजित हुई थी।जिसमें केवलारी की पावन भूमि में रहने वाले बिंदेश सिंह के पूर्वज दुलीचंद कतिया के नाती बिदेश सिंह ढ़ाकरवार कतिया ने अफ्रीका में 12 घंटे में 90 किलोमीटर रनअप कर भारत सहित पेतृक भूमि केवलारी जिला सिवनी मध्यप्रदेश एवं वर्तमान निवास गोंदिया महाराष्ट्र का नाम रोशन किया है ।

अधिकतर मैराथन दौड़ 42.2 किमी (26 मिल के करीब) होती है। परंतु दक्षिण अफ्रीका में होने वाली कॉमरेड मैराथन विश्व की सबसे लंबी, 100 साल पुरानी मैराथन है जो 90 किमी (56 मील) दौड़ी जाती है। इस कामरेड मैराथन में देश से भाग लेने वाले प्रतियोगी बिंदेश सिंह ढाकरवार सहित कल्याण रनर्स ग्रुप के डॉ. मिलिंद ढाले, दिलीप घाडगे ने दक्षिण अफ्रीका में जीत का डंका बजाकर महाराष्ट्र सहित पूरे भारत देश का नाम रोशन किया है।इस विश्वविख्यात कामरेड मैराथन में भाग लेने वाले गोंदिया जिले के गोंदिया शहर स्थित रामनगर क्षेत्र निवासी बिंदेशसिंह ढाकरवार का सपना था कि वो एक बार इस स्पर्धा में अवसर जरूर प्राप्त करेंगे।

दक्षिण अफ्रीका में होने वाली इस मैराथन में भाग लेने के लिए प्रतियोगी को 42.2 किलो मीटर लंबी मैराथन 4 घँटे 50 मिनट में पूरी करने का प्रमाण देना आवश्यक होता है। बिंदेश सिंह ने दृढ़ता, संघर्ष व आत्मसंयमता से 65 किलो मीटर मैराथन की प्रेक्टिस लवासा, लोनावला, सिल्वासा दुधनी और मुंबई में की और इस मैराथन में हिस्सा लेने का गौरव प्राप्त किया। कॉमरेड मैराथन डाउन रन 28 अगस्त 2022 को दक्षिण अफ्रीका के पीटरमारिटबर्ग से शुरू और डरबन सीटी में समाप्त हुई। मैराथन में विश्वभर से 15 हजार प्रतियोगियों ने भाग लिया। दुनिया कि 100 साल पुरानी और सबसे लंबी इस मैराथन में महाराष्ट्र के कल्याण रनर्स के गोंदिया के बिंदेश सिंह ढाकरवार, डॉ. मिलिंद ढाले एवं दिलीप घाडगे का चयन हुआ।महाराष्ट्र के इन तीन शेरों ने विश्व की सबसे लंबी 90 किलोमीटर की इस मैराथन में बिना रुके 12 घँटे तक दौड़ लगाकर जीत का डंका पीटा और देश का नाम रोशन किया। इस कॉमरेड मैराथन में उनके प्रशिक्षक रहे, सतीश गुजरान ने कहा, बिंदेश सिंह पहली बार दौड़े और जीत दर्ज की। बिंदेशसिंह ढाकरवार 39 साल के सेंट्रल रेलवे मुंबई महाराष्ट्र में रेलवे सूचना प्रणाली में सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर का पद पर कार्यरत हैं। विश्व मैराथन की जीत उनके हौसलों की उड़ान ढृढ़ता रही है।

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