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सिवनी। परमात्मा को पाने के लिए बुद्धि नहीं समर्पित मन की जरूरत होती हैं। यह बात नगर के शिव शक्ति मंदिर राजपूत कॉलोनी टैगोर वार्ड में जारी श्री शिव महापुराण महोत्सव में शनिवार को धर्म पथिक शैलेंद्र कृष्ण शास्त्री वृंदावन ने श्रद्धालुओं से कहीं। इस दौरान बाजे गाजे के साथ राजपूत कॉलोनी मार्ग पर झूमते नाचते शिव की बारात निकली।
उन्होंने कथा के दौरान भगवान शिव के विवाह प्रसंगवश कहा कि शिव मृत्यु का देवता हैं अर्थात् जो व्यक्ति प्रेम में प्राण दे सकता हैं वही वास्तव प्रेमी होता हैं। शिव का प्रेम एक ऐसा उदाहरण हैं जो अपने आप में अनूठा प्रेम हैं। शिव और पार्वती विवाह के पूर्व विविध प्रसंग सुनाते हुए बताया कि किसी से यदि प्रेम हैं तो उसकी अच्छाईयों के साथ-साथ उसकी बुराईयों को भी अपना लेना चाहिए। जैसे माता पार्वती ने सुंदर होने के पश्चात भी शिव के रंगरूप को नहीं देखते हुए उनके भोले स्वभाव के साथ उनकी कमियों को भी स्वीकार कर लिया। प्रत्येक मनुष्य में कोई ना कोई कमी जरूर होती हैं यदि उसे प्रेम करते हो तो जीवन में शिव पार्वती की तरह उसे उन कमियों के साथ स्वीकार करें। प्रेम की विशेषता हैं जिससे प्रेम हो वह मिले या ना मिले उससे प्रेम हमेशा बना रहता हैं।
शिव पार्वती विवाह के रोचक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि शिव की बारात में आएं बारातियों को देखकर सभी वधु पक्ष के लोग विचलित हो गए लेकिन पार्वती का उनके प्रति प्रेम होने से वे अडिग रही और अंततः उनका विवाह संपन्न हुआ।
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