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सिवनी। गांव खैरी में जारी श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को व्यास पीठ पर विराजमान श्रीमद्भागवत कथा के प्रवक्ता बनारस से पधारे पं. हितेंद्र पांडे शास्त्री ने अपनी मधुर वाणी से श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं से कहा कि ज्ञानेद्रियों को वश में करना चाहिए। मन, बुद्धि, चित्त को वस में करने के बाद भजन कीर्तन करने से ही ईश्वर के दर्शन होगा। भगवान को सात्विक भक्त ही अच्छा लगता है। जिस भक्त की केवल भगवान के चरणों में प्रीति हो, निःश्वार्थ भाव से भगवान की पूजन करने वाला भक्त ही अच्छा होता है।
उन्होंने आगे कहा कि अच्छा कर्म करने पर अच्छा फल तथा खराब का फल हमेशा तकलीफ देह होता है। इसलिए हमारा टोटल ध्यान अच्छे कर्मों की ओर होना चाहिए। क्षणिक सुख के लिए धर्म को न बिगाड़े। धर्म के चार चरण होते हैं जिनमें पहला चरित्र की पवित्रता, दूसरा सत्य का आचरण, तीसरा संयम एवं चौथा क्रोध का त्याग करना होता है।
क्या सही और क्या गलत है इस बात के निर्णय करने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म शास्त्र पुराण की रचना की है, इन्हें पढ़ने और सुनने से एक सकारात्मक विचार पनपते हैं तथा निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। धर्म के प्रति श्रद्धा जरूरी है। भागवत कथा साक्षात भगवान नारायण हैं। इसे सुनने से ईश्वर भक्ति का फल प्राप्त होता है।
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