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सिवनी। मैत्री जी कहते हैं इस संसार में सुख है ही नहीं भगवान का भजन, स्मरण करने से ही प्राणी को सुख की प्राप्ति होती है। इसीलिए भक्ति निरंतर निश्चल भाव से करना चाहिए। यह बात नगर के शिव शक्ति मंदिर बरघाट नाका राजपूत कॉलोनी टैगोर वार्ड में मंगलवार को श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथावाचक बाल व्यास पंडित प्रेम कृष्ण पुरुषोत्तम तिवारी ने श्रद्धालुजनों से कहीं।
उन्होंने आगे कहा कि जिस भी व्यक्ति को सुखी होना है वह भगवान से जुड़ जाएं, भगवान से जुड़ने और भगवान की भक्ति करने से सच्चा सुख प्राप्त होता है।
उन्होंने आगे कहा कि श्री विष्णु जी से ब्रह्मा जी ने पूछा कि आप ही ने सारी सृष्टि की रचना की है। ऐसा आप कह रहे हैं और मैं एक ही था। आदि में अकेला था।
तब भगवान ने कहा जैसे वस्तु निर्माण के लिए दो कारण हैं एक उपादान दूसरा निमित्य उसके लिए उदाहरण है मटका। निमित्त है कुम्हार व उपादान है मिट्टी।
आभूषण में निमित्य सुनार है व उपादान सोना है। परंतु मकड़ी जब अपने से ही जाला प्रकट करती है और उसको बुनती है तो उपादान और निमित्य स्वयं मकड़ी होती है। वैसे ही मोर पंख का निर्माण करता है उसमें जो रंग होता है उसी के कारण होता है। निमित्त और उपादान के लिए वह स्वयं ही है। वैसे ही ईश्वर ने जब संसार की रचना की तो वे स्वयं ही उपादान और निमृत का कारण बनते हैं। कथा के चौथे दिन बुधवार को कृष्ण जन्म उत्सव मनाया जाएगा।






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