सिवनी। थाना लखनादौन का मामला इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता आरक्षक बिहारी लाल द्वारा दिनांक 2 नवम्बर 2010 को इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई गई की वह थाना लखनादौन में आरक्षक के पद पर पदस्थ था। तभी उक्त दिनांक को हमराह आरक्षक क्रमांक 85 एवं सैनिक क्रमांक 138 के साथ उपजेल के मुलजिम लेकर न्यायालय लखनादौन गया था। पेशी के दौरान प्रकरण क्रमांक 646/2010 एवं 647/2010 धारा 380 भादवि का आरोपी न्यायालय परिसर से भाग गया था, जिस संबंध में उसने न्यायालय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग- 2 लखनादौन/न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, लखनादौन को लिखित आवेदन दिया कि वह थाना लखनादौन में आरक्षक के पद पर तैनात है, सेवक रोजमर्रा की तरह मुलजिम पेशी लेकर आया और आरोपी बिसन सिंह उइके, पिता राम्मूलाल उइके, उम्र 47 वर्ष, निवासी धूमा थाना किंदरई, की पेशी माननीय न्यायालय श्री ए0एस0 सिसोदिया की न्यायालय में पेशी कराने पेश किया था, जो पेशी के बाद बाहर निकलने पर हाथ से झटका देकर पीछे से भाग गया था। जिसे स्टाफ और अन्य लोगों की मदद से तत्काल सहयोग से पकड़ लिया गया।
फरार आरोपी के भागने से गिरने पड़ने पर आई चोटों का मुलाहिजा कराने की अनुमति देते हुए आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने का निवेदन किया गया। उक्त लिखित सूचना के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी का मुलाहिजा कराया जाकर आरोपी के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही किए जाने हेतु थाना लखनादौन को निर्देशित किया गया उक्त लिखित सूचना के आधार पर थाना लखनादौन द्वारा आरोपी के विरुद्ध थाना लखनादौन के अपराध क्रमांक 341/2010 धारा 224 भादवि 0 के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया।
विवेचना के दौरान आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसकी सुनवाई श्रीमती चैनवती ताराम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी लखनादौन की न्यायालय में की गई, जिसमें शासन की ओर श्रीमती कीर्ति तिवारी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा पैरवी की गई। न्यायालय द्वारा आरोपी बिसनसिंह उइके को धारा 224 भादवि0 के अपराध में 6 माह का सश्रम कारावास एवं 500 रुपए के अर्थ धन से दंडित किया गया।
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