सिवनी। कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के पशुपालक वैज्ञानिक डॉ. के. पी. एस. सैनी द्वारा जारी पशुपालक एवं कुक्कुटपालन भाईयों के लिए सलाह दी है।
उन्होंने बताया कि नबम्बर से मार्च तक पक्षियों पर विशेष सतर्कता बरतें। बीमार पक्षियों को हमेशा स्वस्थ पक्षियों से अलग रखें। बर्ड फ्लू से पक्षियों के मरने की शंका होने पर पोस्ट मार्टम न करें। पक्षियों में अत्यधिक मृत होने पर निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें। बर्ड फ्लू की संभावना होने पर मृत पक्षियों को कोल्ड चेन में एन. आई. एच. एस. डी. भोपाल भेजें। मृत पक्षियों को गहरे गड्ढे में उपर से चूना डालकर गाड दें। गाडते समय दस्ताने, फेस मास्क तथा पी. पी. ई. किट का प्रयोग करें। कुक्कुट एवं कुक्कुट उत्पाद 70 डिग्री सेन्टीगे्रट तापमान पर 30 मिनिट तक पकाकर खाने से बर्ड फ्लू नहीं होता है। बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने पर चिकित्सक की सलाह पर टेमीफ्लू दवा खायें। किसी भी प्रकार की मदद के लिए निकटतम पशु चिकित्सालय में संपर्क करें। कुक्कुट पक्षियों के पालने के स्थान/कुक्कुट फार्म के आस-पास जैव सुरक्षा, साफ-सफाई, स्वच्छता सुनिष्चित करें। अच्छी तरह से पकाये हुए कुक्कुट एवं कुक्कुट उत्पाद, अंडा आदि का उपयोग करें। पक्षियों को हेंडिल करने के बाद हाथों को डिटर्जेट/एंटीसेप्टिक साल्यूसन से अच्छी तरह धोयें।
क्या न करें-मृत एवं संक्रमित पक्षियों के पास न जायें। बर्ड फ्लू से पक्षियों के मरने का संदेह होने पर पोस्ट मार्टम न करें।कच्चे कुक्कुट एवं कुक्कुट उत्पाद का प्रयोग न करें। कुक्कुट फार्म पास-पास न खोलें। कम से कम 500 मीटर का फासला रखें। मृत पक्षियों को खुले में न फैकें बल्कि गहरे गड्ढे में गाड कर उपर से चूना डालकर गडा दें।कुक्कुट फार्म के आस-पास झाडियांॅ न उगने दें। बाहरी एवं जंगली पक्षियों को फार्म पर न आने दें। फार्म के आस-पास पानी का ठहराव न होने दें। बहरी व्यक्तियों के फार्म पर न आने दें। जहांॅ संक्रमण हुआ है उस स्थान के भ्रमण से बचें। कुक्कुटों को वांॅटर ़.फाउल (जल मुर्गी) तथा बतखों के साथ न पालें। संक्रमित पक्षियों लार, आंसू, बीट के संपर्क में न आयें। भ्रामक तथा नकारात्मक खबरों से भयभीत न हों।

