सिवनी। कोतवाली स्थित परिवार परामर्श केंद्र में सोमवार को एक पति अपनी दो पत्नी और उनके तीन बच्चों के बीच चल रहे विवाद को लेकर जब पहुंचा तो वहां काउंसलर को यह समझ में नहीं आया कि वह समझाएं किस प्रकार से। सोमवार को परिवार परामर्श केंद्र में 5 मामलों पर सुनवाई हुई जिसमें 3 मामले पर समझौता हुआ और एक मामले पर पत्नी के मायके में रहने व परिवार परामर्श केंद्र में बार-बार बुलाए जाने के बाद भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराए जाने पर उक्त प्रकरण को न्यायालय शरण दी गई।
केंद्र में काउंसलर के रूप में छिददी श्रीवास व एसके श्रीवास्तव तथा एएसआई राधा विश्वकर्मा ने आए हुए मामले मैं निपटारे का काम किया।
नगर के टैगोर वार्ड राजपूत कॉलोनी निवासी पति जब अपनी दो पत्नी और तीन संतान के साथ परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचा तो परिवार को साथ-साथ चलाए जाने की काउंसल ने उन्हें समझाएं दी। जहां पति की पहली पत्नी से दो संतान हैं वही उक्त पति ने बाद में दूसरा विवाह कर लिया। जिससे दूसरी पत्नी से भी 2 माह की एक पुत्री का जन्म हुआ। वही पहली पत्नी ने परिवार परामर्श केंद्र में आवेदन लगाकर कहा कि मेरा पति अब मुझसे कम स्नेह करता है और वह बच्चों पर भी कम ध्यान देता है। जहां काउंसलरो ने समझाया तब पति ने कहा कि मैं दोनों पत्नियों को साथ-साथ रखूंगा और दोनों को बराबर ध्यान दूंगा। हालांकि इस मामले में यह एक सुखद पहलू था कि दोनों पत्नी आपस में मिलजुल कर रहने के लिए भी तैयार हैं। पहली पत्नी के दो पुत्र और दूसरी पत्नी की एक लड़की के साथ पति ने सबके साथ सबका ध्यान रखने की बात कही तो समझौता हुआ।
वही एक दूसरे मामले में राज मिस्त्री पति जिसकी पत्नी सरकारी नौकरी में है, यहां पति द्वारा शराब पीकर पत्नी के सरकारी दफ्तर में जाकर वहां पत्नी से अच्छा व्यवहार नहीं किए जाने से पत्नी खफा थी। वही इस मामले में पत्नी ने बताया कि 9 साल पहले शादी हुई थी और उसके दो पुत्र हैं। जहां पत्नी का मायका वारासिवनी का है वही पति पांडिया छपारा निवासी है। समझाई दिए जाने के बाद पति ने शराब से तौबा करने की बात कही और पत्नी व बच्चों को अच्छे से उनका ध्यान रखते हुए परिवार चलाने की सहमति दी।
इसी प्रकार एक तीसरे मामले में पत्नी ने आवेदन लगाया कि 5 साल पहले अरी में उसका विवाह हुआ था। विवाह के बाद संतान नहीं होने पर पति व ससुराल वाले उसे ताना देते थे व परेशान करते थे। जहां काउंसलर द्वारा पति और उनके परिजनों को यह समझाइश दी की संतानोत्पत्ति के लिए पति अपनी पत्नी का उपचार कराएं जहां पति उपचार कराने के लिए तैयार हुआ जिस पर समझौता हुआ।
प्रतिदिन आ रहे 8-10 मामले – परिवार परामर्श केंद्र कि जब शुरुआत हुई थी तब सप्ताह में एक दिन परिवार परामर्श केंद्र में लोग अपनी समस्या के निराकरण के लिए पहुंचते थे। इसके बाद प्रकरण बढ़ने लगे तो सप्ताह में 2 दिन परिवार परामर्श केंद्र संचालित होता था लेकिन वर्तमान में पति-पत्नी, ससुराल के बीच आए दिन हो रहे वाद-विवाद अब इतने बढ़ गए हैं कि परिवार परामर्श केंद्र में 1 दिन में 10-10 आवेदन आ रहे हैं। इसके साथ ही दो परिवार को समझाने, मिलाने में 2 से 3 घंटे लगते हैं। तब जाकर पति-पत्नी का समझौता होता है। परिवार परामर्श केंद्र में एक परिवार से पति-पत्नी के परिजनों में 8 से 10 लोग पहुंचते हैं जहां समझाइस में भी काफी समय लग जा रहा है। तेजी से बढ़ रहे पति-पत्नी के वाद-विवाद झगड़े बढ़ रहे हैं। यह भी एक चिंता का विषय बन रहा है।
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